अध्यात्म ज्ञान से ही हमारी आत्मा का वास्तविक विकास होगा - सतपाल महाराज

अध्यात्म ज्ञान से ही हमारी आत्मा का वास्तविक विकास होगा - सतपाल महाराज



मुरादनगर। स्थानीय श्री हंस इंटर कालेज मैदान में  मानव उत्थान सेवा समिति द्वारा आयोजित दो दिवसीय होली महोत्सव कार्यक्रम के अंतिम दिवस पर सुविख्यात समाजसेवी व उत्तराखंड सरकार में केबिनेट मंत्री सतपाल महाराज ने कहा कि अध्यात्म ज्ञान से हमारी आत्मा का वास्तविक विकास होगा| उन्होंने कहा कि जब भजन के माध्यम से अपने अंदर प्रवेश करेंगे तो हमारा जन्म-मरण का आवागमन छूटेगा। भक्त प्रह्लाद की तरह ज्ञान की होली खेले, न छूटने वाले भक्ति के रंग में रंगें ताकि आत्मिक सुख व् शांति को प्राप्त करें।



           महाराज ने कहा कि होली भाईचारे व सद्भाव का प्रतीक है। होली पर्व दूसरो के अंदर गिले, शिकवे, लड़ाई, झगड़े व दूसरो के अंदर चल रही वैमनस्यता को दूर करता है। जब भगवान कृपा करके किसी जीव को अपनाते हैं तब सबसे पहले व्यक्ति को संतों का समागम प्राप्त कराते हैं। जहां पर सत्संग हो और ज्ञान की चर्चा हो अध्यात्म जानने की धार्मिक चर्चा हो यह बड़ी ही महत्वपूर्ण चीजें हैं| अलग-अलग लोगों के अलग-अलग प्रश्न होते हैं पर जिसका मन निर्मल व सत्संग से प्रेम करता हैं उनका समाधान स्वतः ही हो जाता है, हमारे मन की शंका स्वतःही दूर हो जाती हैं| जब व्यक्ति को  सत्संग सुनने  को मिलता है तो उसका  विवेक जागृत हो जाता है।
           कोरोना वायरस पर अपने विचार रखते हुए महाराज ने कहा चीन से फैला यह कोरोना वाइरस आज पुरे विश्व में फ़ैल रहा है। इसकी दस्तक अब भारत में भी हो गयी है। इस पर डर और अफवाह का भी माहौल बन गया है। उन्होंने कहा  कि यह वाइरस वाटर ड्रॉपलेप्स के कारन फैलता है जैसे किसी व्यक्ति को छींक आये या खांसी तो उससे थोड़ी दुरी बनाये तथा छींक आने पर हाथ या कोहनी का इस्तेमाल करे, यह वाइरस हवा से नहीं फैलता। हाथ को साबुन से साफ़ करे तथा सार्वजानिक स्थानों पर मास्क का उपयोग करे। महाराज जी ने कहा कि इसकी कोई वैक्सीन तैयार नहीं हुई है केवल सावधानी की आवश्यकता है।



 पूज्य माता अमृता ने भक्तसमुदाय को सम्बोधन में बताया कि जो व्यक्ति दो नावों में अपने पैर रखता है वह भवसागर में ही डूब जाता है। वहीं समुद्र को पार कर सकता है जो एक ही नाव में सवार होता है। ठीक इसी प्रकार वहीं भक्त इस संसार-रूपी  भवसागर से पार होता  है, जो अपने मन, वचन, कर्म के साथ अपने गुरु महाराज के चरणों में लगा रहता है। जो अपने अंदर के छल-कपट को  त्यागकर सच्ची भावना व लगन से सेवा, सत्संग, दर्शन करता रहता है, उसी का ज्ञान फलीभूत होता  है। गुरु महाराज ने हम सबको परमपिता परमात्मा के पावन नाम व प्रकाश स्वरूप का बोध कराया है, उस नाम की कमाई ही हमारे साथ जायेगी, बाकी का सब धन, दौलत, पति-पत्नी, पुत्र-पुत्रियाँ, ऐश्वर्य, कीर्ति आदि सभी भौतिक सुख-साधन यही के यही रह जायेंगे। कुछ भी हमारे साथ नहीं जायेगा। इस लिए हम सभी को निरन्तर प्रभु के नाम का सुमिरन और चिन्तन मनन करते रहना चाहिये।
       इस मौके पर दिव्य परिवार के विभु, सुयश, आराध्या, मोहिना और संस्था के अनेक संत-महात्मा उपस्थित थे। संस्था के वरिष्ठ महात्मा हरिसंतोषानंद जी ने मंचा संचालन किया।
       इस कार्यक्रम में दूर दूर से आये गायकों ने भजन सुनाकर लोगों को मुग्ध  किया। वहीं नुकड़ नाटक, सांस्कृतिक कार्यक्रमों  द्वारा कलाकारों ने दर्शकों व प्रेमीभक्तो की तालिया बटोरी।


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