महिला, बाल अपराध को लेकर गंभीर नहीं है पुलिस
महिला, बाल अपराध को लेकर गंभीर नहीं है पुलिस
मुरादनगर। महिला बाल अपराध उत्पीड़न को लेकर गंभीर नहीं है। पुलिस थाने में प्रतिदिन महिला उत्पीड़न घरेलू हिंसा तथा बाल अपराध के मामले पहुंचते हैं। किसी में महिलाओं का ससुराल पक्ष के द्वारा उत्पीड़न, धोखा देकर शारीरिक शोषण, मारपीट, छेड़छाड़, दुष्कर्म, पतियों द्वारा उत्पीड़न व अन्य गंभीर मामले बाल अपराध शारीरिक शोषण मारपीट अवैध रूप से बाल श्रम करने के कारण उत्पीड़न मारपीट के मामले अधिक होते हैं।पीड़ित महिलाएं थाने पहुंची हैं लेकिन उनकी शिकायतों पर कार्यवाही करना तो दूर पुलिस ढंग से उनकी बात तक नहीं सुनती। उसी का जीता जागता उदाहरण है मोरटा में पुलिस कार्यवाही न होने के कारण महिला को अपने प्राणों से हाथ धोना पड़ा।
बाल अपराध के मामले में भी पुलिस पीड़ितों को थाने से टरका कर अपना क्राइम ग्राफ कम करती है। दबंगों ने 13 साल के किशोर उसकी मां 13 वर्षीय बहन पर जमकर कहर बरपाया। महिला के साथ दुष्कर्म का प्रयास किया गया। शिकायत करने पहुंची पीड़िता को भी थाने से चलता कर दिया गया। इसके अलावा अनेकों ऐसे मामले हैं जिनमें यदि पुलिस कार्यवाही करती तो शायद ऐसी घटनाओं पर अंकुश लग सकता। कई बार जिन मामलों को पुलिस मामूली समझकर सुना अनसुना कर देती है वही बड़ी घटना के कारण बन जाते हैं। शासन ने महिलाओं की समस्याओं के त्वरित समाधान के लिए महिला थाना भी बनाया हुआ है लेकिन उसके बारे में आम घरेलू महिलाओं को जानकारी नहीं है और पुलिस के लिए यह एक बड़ा बहाना है।
अधिकांश महिला पीड़ितों को थाना पुलिस महिला थाने जाने की सलाह दे देती है और त्वरित कार्यवाही न होने से उनकी परेशानियां और ज्यादा बढ़ जाती हैं। मुरादनगर थाने से महिला थाने गाजियाबाद पहुंचने तक पीड़िता के साथ गंभीर अपराध घटित हो सकता है लेकिन शायद पुलिस की सेहत पर इसका कोई असर नहीं पड़ता।
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