प्राकृतिक चिकित्सा या नेचुरोपैथी क्यों जरुरी 

प्राकृतिक चिकित्सा या नेचुरोपैथी क्यों जरुरी 



मानव का शरीर पांच तत्वों से मिल के बना होता है (आग , हवा , जल , मिटटी , आकाश ) , हर तत्त्व का हमारे शरीर के साथ साथ प्रकृति में भी एक अहम् भूमिका है। मानव शरीर में तीन दोष (वात, पित्त ,कफ) पाए जाते है हमारे अनुचित खान पान या गलत दिनचर्या के कारण ये दोष असंतुलित हो जाते है जिससे शरीर में बीमारिया पनपती है। प्राकृतिक रूप से बिमारियों का निवारण और मानव शरीर में इकठ्ठा टॉक्ससीन्स यानि विजातीय द्रव्यों को प्राकृतिक साधनो द्वारा शरीर से बाहर निकालते हुए अपनी जीवनी शक्ति को बढ़ाना ही प्राकृतिक चिकित्सा कहलाती है।  


आज के भागा दौड़ी वाले समय में लोग तनाव पूर्ण जीवन जी रहे है, दरसल कोरोना काल में जो लोग काफी समय से घर बैठे है उनमे भी तरह तरह के तनाव देखने को मिल रहे है, जिससे विजातीय द्रव इकठ्ठा हो रहे है। आधुनिक समय में लोगो की पहली प्राथमिकता दवाई ही होती है।


जबकि ये दवाई शरीर पर न दिखने वाला बुरा प्रभाव भी डालती है। प्राकृतिक चिकित्सा और योग के अलावा कोई अन्य चिकित्सा पद्दति पूर्ण रूप से स्वाथ्य नहीं कर सकती। प्राकृतिक चिकित्सा से हर बीमारी का इलाज संभव है। इसका ज्ञान लेके व्यक्ति खुद से अपने शरीर को स्वस्थ्य रख सकता है।   


प्राकृतिक चिकित्सा बहुत सहज और सरल पद्दति मानी गयी है इसके अंतर्गत प्रकृति द्वारा दिए हुए पांच तत्वों का अनुपालन करके सफल इलाज़ किया जाता है


हर प्राकृतिक तत्व का अपना कार्य होता है और अपना इलाज़ 


आग तत्त्व - इसमें सूर्य किरण द्वारा थेरेपी दी जाती है। 


जल तत्व - इसमें जल द्वारा थरेपी दी जाती है।


वायु तत्व - इसमें प्राण वायु द्वारा थेरेपि दी जाती है 


मिटटी या भूमि तत्व - इसमें मिटटी द्वारा थेरेपी दी जाती है 


आकाश तत्व - इसमें उपवास द्वारा थेरेपी दी जाती है। 


प्राकृतिक चिकित्सा एक बहुत प्राचीन पद्धति है। इसमें शरीर को कोई नुकसान या दर्द पहुंचाए बिना रोगों का बेहतर इलाज करने की कोशिश की जाती है। इस चिकित्सा प्रणाली के माध्यम से न केवल व्यक्ति के रोगों को दूर किया जाता है, बल्कि उसे मानसिक और आध्यात्मिक स्वास्थ्य भी प्रदान किया जाता है। इसमें बिना किसी दवाओं का उपयोग किए ही पंच तत्वों का पालन करते हुए बीमारी का इलाज किया जाता है। इसके इस्तेमाल से शरीर में छुपे हुए बरसों पुराने रोग भी बाहर आ जाते हैं। इसमें शरीर को कोई नुकसान या दर्द पहुंचाए बिना रोगों का बेहतर इलाज करने की कोशिश की जाती है।प्राकृतिक चिकित्सा एक ही समय में शारीरिक, मानसिक, सामाजिक और आध्यात्मिक जैसे सभी पहलुओं का इलाज करती है।


प्राकृतिक चिकित्सा (नेचुरोपैथी) में मिट्टी के लेप यानि मड थैरेपी, वॉटर ट्रीटमेंट, एनिमा, एक्यूपंचर, एक्यूप्रेशर, सूर्य चिकित्सा, व्रत रखकर, संतुलित आहार यानि डाइट थैरेपी, होम्योपैथिक दवाओं आदि माध्यम से नेचुरोपैथी में इलाज किया जाता है। 


प्राकृतिक चिकित्सा का लक्ष्य शरीर, मन और आत्मा को नियंत्रित करके व्यक्ति का इलाज करने का है। यह न केवल रोगों के लक्षण को दूर करती है, बल्कि बीमारी के मूल कारणों को ठीक करने का भी एक तरीका है। 


अपने जीवन को ठीक ढंग से चलाने और बीमारियो से दूर रहने के लिए योग और प्राकृतिक चिकित्सा बहुत जरुरी मानी गयी है।


शिखर इंदौलिया  


(नेचुरोपैथी एवं योग विशेषज्ञ )


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