श्मशान घाट त्रासदी न सरकारी वादे पूरे हुए और न ही मिला न्याय

श्मशान घाट त्रासदी न सरकारी वादे पूरे हुए और न ही मिला न्याय




मुरादनगर। भ्रष्टाचार के लिए मानव जनित त्रासदी में अभी तक 25 लोग असमय ही मृत्यु के आगोश में समा चुके हैं। 25 लोगों की जाने चली गई दर्जनों पीड़ित गंभीर स्थितियों में विभिन्न अस्पतालों में इलाज करा रहे हैं लेकिन एक कटु सत्य यह भी है कि वह जिंदा होकर भी परिवार के दुख का कारण बन रहे हैं। परिजनों को कर्ज लेकर उनका इलाज कराना पड़ रहा है लेकिन इलाज के बाद भी बहुत से ऐसे हो जाएंगे जो पूरी जिंदगी कोई कार्य नहीं कर पाएंगे और परिवार आर्थिक रूप से टूट जाएंगे। इतना सब होने के बावजूद अभी एसआईटी द्वारा 5 लोगों के खिलाफ दायर किया गया आरोप पत्र तथा साथ में यह कहा जाना कि बाकी लोगों की भूमिका की जांच चल रही है। पीड़ित परिवार क्षेत्र के लोग यह जानना चाहते हैं कि बाकी और कौन अपराधी है जिन परिवारों के बेटे भाई पति इस त्रासदी में उन्हें छोड़कर चले गए। उन्हें सरकार ने आर्थिक सहायता मकान तथा एक सरकारी नौकरी परिवार के सदस्य को देने की घोषणा भी हुई थी लेकिन अभी तक सरकारी वादे पूरे नहीं हुए और अभी उनके दोषियों के चेहरे पूरी तरह बेनकाब न होने के कारण वह अपने को ठगा सा मान रहे हैं। 
पीड़ित परिवारों की स्थिति यहां तक है कि उनकी एक निश्चित आय हुए बिना परिवारों का गुजारा मुश्किल है।  घायलों के दर्द भी कम नहीं है। इलाज के लिए सरकार से कोई मदद नहीं मिली। पीड़ित सभी मध्यम, निम्न, आय वर्ग से हैं जिनके पास लाखों रुपया नहीं रहता। उन्हें रिश्तेदारों मित्रों से कर्ज लेकर अस्पतालों का भुगतान करना पड़ रहा है जिसके कारण वह लाखों के कर्जदार हो गए हैं। उन लोगों को कोई सहायता नहीं मिली तो सरकार द्वारा मकान देने की घोषणा अभी पूरी नहीं हुई है लेकिन जिनके मकान हैं वह जरूर बिक जाएंगे। 
ज्ञात हो कि 3 जनवरी 2021 को उखलारसी श्मशान घाट में नगर पालिका द्वारा बनवाया हुआ नवनिर्मित बरामदा  गिर गया था जिसके नीचे 5 दर्जन से अधिक लोग दब गए थे। 24 लोगों की मौके पर ही मृत्यु हो गई थी। एक घायल ने इलाज के दौरान अस्पताल में दम तोड़ दिया। सरकार ने घटना को गंभीरता से लेते हुए एसआईटी को जांच सौंपी थी। अधिशासी अधिकारी सहित नगर पालिका परिषद के कई अन्य गिरफ्तार किए गए थे। अधिशासी अधिकारी जमानत  पर जेल से बाहर आ गई। अब एसआईटी ने उन्हीं लोगों को आरोपी बनाते हुए चार्ट शीट दाखिल की है। साथ में यह भी कहा जा रहा है कि कुछ लोग जांच के दायरे में हैं। उनके विरुद्ध भी कार्रवाई होगी। लोग जानना चाहते हैं कि आखिर वह लोग कौन हैं जिन्हें सामने लाने में सरकारी एजेंसी को इतना समय लग रहा है। अधिकारी रिपोर्ट दर्ज कराने से जांच तक अपना नजरिया स्पष्ट नहीं कर सके हैं। पीड़ितों को इंतजार है सरकार द्वारा घोषित सहायता मिले व कौन दोषी हैं इसका पता लगे। अस्पताल में इलाज के दौरान दम तोड़ने वाले पवन के परिजनों ने दैनिक वीर अर्जुन प्रतिनिधि मुकेश सोनी को बताया कि उप जिलाधिकारी ने आर्थिक सहायता का आश्वासन दिया है लेकिन अभी तक कोई सहायता नहीं मिली।

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