श्मशान घाट नरसंहार पुलिस ने की मानवीय संवेदनाएं तार तार मृतक के परिजन- पंचायतनामें के लिए 3 महीने से खा हैं रहे धक्के

श्मशान घाट नरसंहार पुलिस ने की मानवीय संवेदनाएं तार तार मृतक के परिजन- पंचायतनामें के लिए 3 महीने से खा हैं रहे धक्के 



मुरादनगर। जिन हादसों के पीछे कहीं न कहीं सरकारी भ्रष्टाचार होता है। उन घटनाओं से पीड़ित लोगों को शांत करने के लिए सरकारी अधिकारी तथा सत्ताधारी पार्टी के नेता तमाम तरह से सहायता दिलाने की बड़ी-बड़ी घोषणाएं करते हैं, ताकि कोई भारी बवाल न हो जाए लेकिन जनता का गुस्सा ठंडा पढ़ते ही जिन पीड़ितों के यहां उन्होंने कई दिन चक्कर लगाए होते हैं। उन्हीं लोगों को समय पर अधिकारी नेता दोनों ही भूल जाते हैं पुलिस प्रशासन ने मानवीय संवेदनाएं भी भुला दी हैं। नगर पालिका घोटाले के कारण गिरी श्मशान घाट के बरांडे की छत के नीचे दब कर अपनी जान गंवाने वाले के परिजन उसकी बीमा पॉलिसी का रुपया लेने के लिए भटक रहे हैं। लेकिन वह उन्हें नहीं मिल रहा कारण है पुलिस प्रशासन की उदासीनता तथा सरकारी विभागों में सामंजस्य की कमी बीमा कंपनी वालों ने मृतक के पंचनामा की प्रति मांगी है। परिवार 3 महीने से एक थाने से दूसरे थाने चक्कर काट रहा है लेकिन उन्हें एक थाने से दूसरे थाने दौड़ाया जा रहा है लेकिन उन्हें आवश्यक कागज उपलब्ध नहीं कराए जा रहे। जयवीर पुत्र बलवीर निवासी ग्राम कलंजरी पोस्ट जानी निवासी की 3 जनवरी 2021 को श्मशान घाट हादसे में मृत्यु हो गई थी। उसके पुत्र मयंक ने बताया कि उसके पिताजी की नेशनल इंश्योरेंस कंपनी की तरफ से बीमा हुआ था। जिसको क्लेम करने के लिए इंश्योरेंस कंपनी वाले मृतक की पंचनामा रिपोर्ट मांग रहे हैं। जिसके लिए परिजन 3 महीने से थाने के चक्कर काट रहे हैं लेकिन उन्हें स्थानीय थाने से गाजियाबाद तथा गाजियाबाद से मुरादनगर दौड़ाया जा रहा है। जहां पहुंचते हैं वहां से दूसरे स्थान पर जाने की सलाह दी जाती है और दूसरे स्थान से फिर मुरादनगर भेज दिया जाता है। लेकिन कागज कहीं से नहीं मिले और न पीड़ित परिवार को कोई यह जानकारी देने के लिए तैयार है कि आखिर उनके परिजन के पंचनामें के कागज कहां मिलेंगे। इस हृदय विदारक घटना में 25 लोगों की मृत्यु हो गई थी सभी मृतकों को कई सुविधाएं उपलब्ध कराने की घोषणा सरकार की ओर से की गई थी। लेकिन उन घोषणाओं पर अभी तक भी अमल नहीं हुआ है उल्टे पीड़ितों को अपना पैसा लेने के लिए ही धक्के खाने पड़ रहे हैं। क्योंकि पुलिस विभाग इतने बड़े हादसे को लेकर भी संवेदनशील नहीं है इसलिए पीड़ितों को दौड़ाया जा रहा है। इस बारे में पीड़ित परिजनों ने बताया कि उन्हें यह भी बताया गया है कि इस केस की जांच लखनऊ एसटीएफ को दी गई थी वहां से भी समस्या का समाधान नहीं हो सका है।

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