करोड़ों की सरकारी जमीनों पर अवैध कब्जे - अधिकारी चुप, भू माफियाओं के खिलाफ कार्रवाई न होने से भूमियों का अस्तित्व खतरे में

करोड़ों की सरकारी जमीनों पर अवैध कब्जे - अधिकारी चुप, भू माफियाओं के खिलाफ कार्रवाई न होने से भूमियों का अस्तित्व खतरे में



मुरादनगर। सरकारी जमीनों पर कितने अवैध कब्जे हैं इसकी जानकारी तहसील के अधिकारियों को न हो ऐसा संभव नहीं हो सकता लेकिन विभाग के अधिकारी समय से लोगों द्वारा की गई शिकायतों का निस्तारण नहीं करते और यही कारण बहुत बड़े अपराधों के जनक बन जाते हैं। यह भी हैरत करने वाली बात है कि शिकायत करने वालों के निशाने पर विभागीय लोग ही होते हैं। कोई अधिकारियों पर गंभीर आरोप लगाते हैं कुछ लोग अन्य कर्मचारियों को गलत ठहराते हैं। इस परंपरा को समाप्त कर अधिकारियों मौके पर पहुंचकर शिकायतों का शीघ्र निस्तारण कराना चाहिए जिससे यदि सरकार की संपत्ति अवैध रूप से कोई हड़पना चाह रहा है उस पर अंकुश लग सके तथा दो पक्षों में दुश्मनी गहरी न हो। ऐसी ही शिकायत मोहम्मद असलम पुत्र रहमत हुसैन ने जिला अधिकारी के यहां पत्र देकर की है कि खसरा नंबर सरना मुरादनगर 572/0114 पर यहां के दबंग भाइयों ने लगभग ₹100000000 की भूमि पर अवैध कब्जा किया हुआ। जिसकी पूर्व में भी शिकायत की गई थी जिस में भी सरकारी भूमि पर अवैध रूप से कब्जे पाए गए। जिस पर कार्यवाही उप जिलाधिकारी मोदीनगर आदित्य प्रजापति के यहां लंबित हैं उन पर कोई कार्यवाही क्यों नहीं हुई। इसका स्पष्टीकरण उप जिलाधिकारी से भी लिया जाना चाहिए। लोग दबंग किस्म के अपराधी प्रवृत्ति के व्यक्ति हैं हत्या के प्रयास बलवा फैलाने में नामजद हैं फिर भी इनके परिवार पर 9 लोगों के नाम पर हथियारों के लाइसेंस बने हुए हैं। अपने आप को माफिया अतीक अहमद का रिश्तेदार बता कर लोगों को धमकाते हैं और सरकारी संपत्तियों को कब्जाते हैं। सरकारी भूमि से अवैध कब्जा हटवा कर सरकार में निहित किया जाए तथा इनके परिवार के समस्त शस्त्र लाइसेंसों की जांच समीक्षा की जाए। वहीं दूसरे पक्ष में भी इस विषय में मंडलायुक्त को पत्र भेजकर सभी आरोपों को निराधार बताते हुए आरोप लगाया है कि लेखपाल द्वारा पुराने चल रहे मुकदमें को दरकिनार कर मनघडंत पैमाईश कर मनमाने तरीके से ऐसे नंबरो पर कब्जा दिखाया है जिनपर कोई कब्जा निर्माण नहीं है। उन्होंने मांग की है कि जांच कराई जाए यदि उनके पास 1 इंच भी सरकारी जमीन मिले तो उसके लिए हम हर कार्रवाई के लिए तैयार हैं। जो भी सरकारी जमीन हो उसे सरकार जब चाहे ले सकती है। पत्र में कहा गया है कि वर्ष 2017 में एक शिकायती पत्र तत्कालीन उपजिलाधिकारी को तहसील दिवस पर दिया था। जिसमें उनकी फैक्ट्री आवास मे खसरा नंबर 576 की 170 वर्ग मीटर भूमि तत्कालीन लेखपाल सुधीर कुमार व नगर पालिका परिषद के बाबु रामपाल के द्वारा की गयी पैमाईश के बाद चिन्हित की गयी थी तथा और भूमि अन्य पड़ोसियों के कब्जे में पैमाईश में पकड़ में आयी थी। जिसके आधार पर नगर पालिका परिषद ने सभी पर पीपी एक्ट की कार्रवाई हेतु दावा तैयार करके परगनाधिकारी की कोर्ट में प्रस्तुत कर दिया था। अब कुछ दिन पहले शिकायती पत्र की जांच पर मोके पर आये बिना कानूनगो व क्षैत्रीय लेखपाल ने मनघडंत तरीके से एक रिपोर्ट बनाकर परगनाधिकारी को प्रेषित की है जिसमें खसरा नंबर 568 सरना मुरादनगर की भूमि पर उनका 200वर्ग मीटर कब्जा दिखाया गया है। एक शिकायतकर्ता उप जिला अधिकारी को कटघरे में खड़ा कर रहा है तो दूसरे ने लेखपाल आदि को दोषी ठहरा दिया। ऐसे मामलों में विभाग के उच्चाधिकारियों को खुद मौके पर जाकर जांच कर मामले का निस्तारण चाहिए। इस बारे में दोनों ही पक्षों की ओर से प्रार्थना पत्रों की प्रतिलिपि उपलब्ध कराई गई है। वहीं मुरादनगर एक के मामले में जिलाधिकारी ने 30 जुलाई तक कार्यवाही कर उसकी रिपोर्ट तहसील के अधिकारियों से तलब की है।


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