नागपंचमी का पर्व परंपरागत श्रद्धा के साथ मनाया

नागपंचमी का पर्व परंपरागत श्रद्धा के साथ मनाया  



मुरादनगर। श्रावण मास शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि शुक्रवार को नागपंचमी का पर्व परंपरागत श्रद्धा के साथ मनाया गया। इस अवसर पर भक्तगण नागदेव की विशेष पूजा अर्चना कर उन्हें प्रसन्न करने का प्रयास करते हैं। सनातनधर्मी हिंदू नागपंचमी के अवसर पर नागदर्शन करके उनपर दूध चढाकर पूजा अर्चना की त्यौहार को मनाने की लंबी परम्परा भारत वर्ष में प्राचीन काल से ही रही है। वैसे तो प्रत्येक मास एंव पक्ष में कोई न कोई पर्व मनाया जाता है। परन्तु भारत के लोक जीवन में पर्व की श्रृंखला नागपंचमी से ही प्रांरम्भ मानी जाती है। रक्षांबधन, जन्माष्टमी, गणेश चतुर्दशी, विश्वकर्मा पूजन, अनंत चतुर्दशी, पितृ विसर्जन, दशहरा, करवाचौथ, दीपावली, मकर संक्राति से गुजरते हुए होली के उल्लास के साथ इस पर विराम लगता है। मुख्यत महिलाओ तथा युवतियों का पर्व माने जाने वाले नागंपचमी के दिन महिलांए घर से बाहर दरवाजे के साईड़ में गोबर से दीवार पर नाग नागिन की प्रतिमा बनाकर उनकी पूजा अर्चना करती है। भारतीय परम्परा में प्रतिवर्ष श्रावण मास में शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि से त्यौहार प्रारम्भ हो जाते है। और नागपंचमी इनमें विशेष महत्व रखती है। नागपंचमी के दिन ही कुवारी कन्याएं इस अवसर पर श्रृंगार करने मंगल गीत गाती है तथा झूले झूलती है। हांलाकि शहरों से अब यह परम्पराएं धीरे-धीरे लुप्त होती जा रही है। मान्यताओं के अनुसार लोग सभी कष्टों से छुटकारे के लिए घर के किसी कोने से नागदेव के ग्रहण करने के लिए दूध भी रखते है। इस दिन सर्प देखना शुभ माना जाता है सपेरे प्रातकाल से ही लोगों को धूमधूमकर नागदेव का दर्शन करने का प्रयास करते रहे। मान्यता है आज के दिन काल सर्प योग की शांति के लिए विभिन्न धार्मिक अनुष्ठान भी संपन्न कराये जाते है। 




इस बारे में परशुराम सेवा दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष तथा राजकुमार ने संयुक्त रूप से बताया कि हमारे सभी त्योहार प्रकृति का संरक्षण करते हैं।

Comments

Popular posts from this blog

नगर पालिका के अधिशासी अधिकारी नियमों को उड़ा रहे हैं गाड़ी पर लिखा भारत सरकार

समस्त देशवासियों ,विज्ञापन दाताओं, सुधी पाठकों को स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं

विपनेश चौधरी को मेघालय के राज्यपाल ने राजस्थान में किया सम्मानित