धरना भूख हड़ताल जारी, अधिकारी घायल का भी नहीं करा पाए इलाज, महिलाओं में रोष व्याप्त

धरना भूख हड़ताल जारी, अधिकारी घायल का भी नहीं करा पाए इलाज, महिलाओं में रोष व्याप्त




मुरादनगर। प्रशासन के अधिकारियों ने श्मशान घाट नरसंहार में घायल के इलाज का आश्वासन देते हुए उसे अस्पताल भेज दिया लेकिन जिस अस्पताल के लिए अधिकारियों ने बताया था वहां से बिना इलाज के ही उसे वापस लौटा दिया। अधिकारियों द्वारा दिए गए आश्वासन खोखले साबित हो रहे हैं। 29 नवंबर 2021 से श्मशान घाट जिसमें 3 जनवरी 2021 को नगरपालिका का लेंटर गिरने के कारण 25 लोगों की मृत्यु तथा इतने ही लोग घायल हुए थे। पीड़ित परिवारों की महिलाएं अपनी मांगों को लेकर धरना भूख हड़ताल नगर पालिका परिषद कार्यालय पर कर रही हैं लेकिन प्रशासन उनको लेकर गंभीर नहीं है। भूख हड़ताल पर बैठी कविता पुष्पा ने बताया कि धरने भूख हड़ताल के बाद प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारियों ने घायल दीपक का मेरठ के एक अस्पताल में इलाज कराने का आश्वासन दिया था। लेकिन जब उसे परिजन अस्पताल लेकर पहुंचे वहां के प्रबंधन ने प्रशासनिक अधिकारियों के आश्वासनों को हवा में उड़ाते हुए निशुल्क उपचार से स्पष्ट मना कर दिया। इसी दौरान उसकी तबीयत ज्यादा बिगड़ गई। उसकी पत्नी मोनिका उसे मेरठ के मेडिकल हॉस्पिटल लेकर पहुंची वहां उसे प्राथमिक उपचार देने के बाद ऑपरेशन करने के लिए बताया गया और दवाओं का लंबा पर्चा देते हुए मेडिकल स्टोर से दवाई लाने के लिए कहा गया है। जितने रुपए की दवाइयां लिखी गई हैं इतने रुपए भी उसके पास नहीं है और अब कोई उधार देने को भी तैयार नहीं है। 
कविता, अंजू, नीलम, निधि आदि ने बताया कि प्रशासन उनकी मदद नहीं उनका मखौल उड़ा रहा है। एक मरणासन्न व्यक्ति को घर से अस्पताल भेज दिया गया लेकिन वहां इलाज नहीं मिला। अभी तक वह दवाइयों के इंतजार में है। महिलाओं ने बताया कि अपर जिलाधिकारी ने मेरठ के अस्पताल को फोन कर घायल के इलाज करने के लिए कहा था। उन्हें भी अस्पताल का नंबर दिया गया था लेकिन जिन लोगों के नंबर उन्होंने दिए थे उन्हीं ने इलाज से मना कर दिया। इससे आक्रोशित महिलाओं ने स्पष्ट कहा है कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होंगी वह यहां से नहीं उठेंगे। महिलाओं ने बताया कि अधिकारी उनकी समस्याओं को सुलझाने के बजाय उन्हें यहां से हटाने में ज्यादा ध्यान लगा रहे हैं। इस मामले से उप मुख्यमंत्री को भी अवगत कराया गया था लेकिन अभी तक कोई सकारात्मक कदम प्रशासन की ओर से नहीं उठाया गया है। जिस के इलाज का आश्वासन दिया गया था उसका इलाज तक नहीं हो पाया। ऐसे में कैसे प्रशासनिक अधिकारियों की बातों पर भरोसा किया जाए।

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