क्षेत्र में हार जीत के लगाए जा रहे हैं कयास

समीर पंवार

क्षेत्र में हार जीत के लगाए जा रहे हैं कयास


मुरादनगर। उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद जिले की मुरादनगर विधानसभा सीट पर चुनाव गत 10 फरवरी को संपन्न हो चुके हैं। सोमवार को दूसरे चरण की वोटिंग संपन्न हुई। समाचार हैंकि उन सीटों पर भी भारी मतदान हुआ। वहां के क्या नतीजे होंगे इस बात की जानकारी के लिए क्षेत्र के लोग भी उत्सुक रहे और अपने वहां के परिचितों से चुनावों की जानकारी लेते रहे। क्षेत्र में संपन्न हुए चुनावों को लेकर भी हर स्थान पर चर्चाएं हैं।  रोज नए समीकरण बन बिगड़ रहे हैं। अब किस पोलिंग बूथ पर कितना मतदान हुआ, इसको लेकर आंकड़े लगाकर समर्थक अपने प्रत्याशियों को जिता रहे हैं। सामने आ रहे मतदान प्रतिशत लोगों की धड़कन बढ़ा रहे हैं। 
ग्रामीण क्षेत्र में मतदान प्रतिशत 80% से ज्यादा तक कुछ बूथों पर हुआ है जबकि शहरी क्षेत्र के कई बूथ ऐसे हैं। जिन पर मात्र 17 प्रतिशत से 20% तक वोट पडे़। जिन शहरी बूथों पर मतदान कम हुआ वहां के मतदाता भारतीय जनता पार्टी के परंपरागत मतदाता माने जाते हैं। देहात क्षेत्र में हुए बंपर वोटिंग में किसकी कितनी हिस्सेदारी है। उसका लोग अपने अपने हिसाब से आंकलन कर रहे हैं। इस विधानसभा सीट से भाजपा, सपा, रालोद गठबंधन, कांग्रेस, बहुजन समाज पार्टी के प्रत्याशी मुख्य थे। लेकिन मुख्य मुकाबला गठबंधन तथा भाजपा प्रत्याशी के बीच होने के कयास लगाए जा रहे हैं। समर्थक अपने प्रत्याशी की जीत सुनिश्चित बता रहे हैं और दोनों प्रत्याशी अपने आप को जीता हुआ मान रहे हैं। शहरी क्षेत्र में कम और ग्रामीण क्षेत्रों में बड़े अंतर से हुआ मतदान रोज लोगों के समीकरणों को बदल रहा है। दोनों ही प्रत्याशियों के समर्थक तथा प्रत्याशी जीत के दावे कर रहे हैं। बाकी प्रत्याशियों की सभी उम्मीदें धूमिल होती दिखलाई दे रही हैं क्योंकि उनकी कहीं कोई चर्चा तक नहीं है। वहीं दलित मतों को लेकर भी कई तरह के कयास लगाए जा रहे हैं। बसपा ने  इस सीट से मुस्लिम वर्ग से ही प्रत्याशी उतारा था। प्रत्याशी के कमजोर होने के कारण मुस्लिम वर्ग ने उन्हें ज्यादा तवज्जो नहीं दी। इसलिए अंदाजा लगाया जा रहा है कि दलित मतों का बं टवारा हो सकता है। यह गणित दोनों मुख्य प्रत्याशियों के समर्थक लगा रहे हैं दलित मतों के बंटवारे का लाभ भाजपा प्रत्याशी को मिलने की उम्मीद क्षेत्रवासी लगा रहे हैं। वहीं ग्रामीण क्षेत्र के बंपर वोटिंग को गठबंधन प्रत्याशी को मजबूत दिखा रहे हैं। यह 10 मार्च को ही स्पष्ट हो सकेगा कि भाजपा प्रत्याशी दोबारा विधानसभा में पहुंचने में सफल रहते हैं या फिर तीन बार विधायक रहे गठबंधन प्रत्याशी इस सीट को भाजपा से छीनते हैं। 
इस बारे में मतदाताओं ने बताया कि नगर के कई भागों में वोटर स्लिप नहीं मिली। कई कई परिवारों के नाम सूची से गायब हो गए जिसके कारण बड़ी संख्या में लोग मतदान करने से वंचित रह गए। दोनों उम्मीदवारों को राजनीति विरासत में मिली है। भाजपा से पूर्व कैबिनेट मंत्री राजपाल त्यागी के पुत्र अजीत पाल त्यागी जो एक योजना जिला पंचायत अध्यक्ष तथा एक कार्यकाल विधानसभा का पूरा कर रहे हैं। दूसरी ओर गाजियाबाद के पूर्व विधायक पंडित प्यारे लाल शर्मा के पुत्र तीन बार गाजियाबाद का विधानसभा में प्रतिनिधित्व कर चुके पंडित सुरेंद्र कुमार मुन्नी हैं। दोनों ओर ही तजुर्बा और जनसंपर्क की कमी नहीं है इसलिए चुनाव और ज्यादा रोचक हो गया है।

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