अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हो सकता है नगरपालिका अध्यक्ष पद

अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हो सकता है नगरपालिका अध्यक्ष पद


मुरादनगर। नगर पालिका परिषद अध्यक्ष पद के लिए इस बार सीट अनुसूचित जाति के लिए भी आरक्षित हो सकती है विधानसभा चुनाव संपन्न हो गए हैं अब नगर पालिका परिषद स्थानीय निकाय के चुनावों की सरगर्मियां प्रारंभ होने लगी हैं। पहले नगर पालिका परिषद अध्यक्ष रह चुके पूर्व पालिका अध्यक्ष चुनाव के गुणा भाग में लग गए हैं। वहीं कुछ नए चेहरे भी किस्मत आजमाने के लिए तैयारियों में जुट गए हैं। कुछ पार्टियों से टिकट का जुगाड़ करने के लिए टिकट दिलाने में मदद करने की हैसियत रखने वालों की शरण में पहुंचने लगे हैं जिनकी पार्टियों में उच्च स्तर पर पकड़ है वह वहां टिकट के लिए हाजिरी लगाने लगे हैं। तो कुछ भावी उम्मीदवार निर्दलीय चुनाव मैदान में उतरने के लिए जनता जनार्दन के बीच अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहे हैं। मुरादनगर नगर पालिका अध्यक्ष पद सामान्य पुरुष महिला पिछड़ा पुरुष महिला के लिए आरक्षित रह चुके हैं और सामान्य पुरुष महिला पिछड़ा पुरुष महिला चेयरमैन पद को सुशोभित कर चुके हैं। इस सीट पर बहुजन समाज पार्टी तथा भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी जीत कर पालिका अध्यक्ष बन चुके हैं अभी तक इन्हीं वर्गों के प्रत्याशी तैयारी करते नजर आ रहे हैं ।आने वाले चुनावों में सत्ताधारी भाजपा तथा विपक्ष के राष्ट्रीय लोक दल समाजवादी पार्टी बहुजन समाज पार्टी कांग्रेस तथा अन्य के प्रत्याशी भी दमखम से मैदान में आएंगे। लेकिन अभी तक अनुसूचित जाति से संबंधित कोई भी अध्यक्ष पद की दावेदारी करने के लिए सामने नहीं आया है ।सूत्रों के हवाले से यह आशंका भी जताई जा रही है कि इस बार पालिका अध्यक्ष अनुसूचित वर्ग के लिए आरक्षित हो सकता है। जिससे तैयारी कर रहे भावी प्रत्याशियों के अरमानों पर पानी फिर सकता है। ऐसे में पूर्व पालिका अध्यक्ष अपने पक्ष के अनुसूचित जाति के प्रत्याशियों की तलाश कर उन्हें चुनाव लड़ाने के लिए दमखम लगा सकते हैं और कुछ ऐसे नए चेहरे भी मैदान में दिखलाई दे सकते हैं जो की खुद अपने दम पर पालिका अध्यक्ष की कुर्सी तक पहुंचने का प्रयास करेंगे। यह सीट अभी तक अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित नहीं हुई है हालांकि कई बार आरक्षण होने की चर्चाएं हुई लेकिन सीट सामान्य पिछड़े वर्ग को ही मिली उसमें महिला पुरुष दोनों ही पालिका अध्यक्ष बन चुके हैं। इसलिए सूत्रों की बात को बल मिलता है कि विधानसभा चुनाव में भाजपा को अनुसूचित वर्ग का वोट मिला जिसके कारण बसपा प्रत्याशी इस सीट पर बहुत पीछे पहुंच गया और सरकार दलित मतदाताओं को और लुभाने के लिए ऐसे फैसले ले सकती है। जिससे अनुसूचित वर्ग का मतदाता उसके साथ और मजबूती से खड़ा हो सके। सामान्य तथा पिछड़ा वर्ग के दावेदारों की कतार लंबी है ऐसे में उनके राजनीतिक सहयोगीयों की भी यह दुविधा रहेगी कि वह किसको टिकट दिलाएं किस का समर्थन करें सीट आरक्षित होने पर उन्हें भी कुछ राहत मिल सकती है। इस बारे में कुछ सूत्रों से बात की वह भी इस बात से इनकार नहीं कर रहे की इस बार चेयरमैन की कुर्सी अनुसूचित वर्ग के लिए आरक्षित हो सकती है।

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