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कविता - कोरोना ने कर दिया, लोगों को मजबूर - विनोद जिंदल

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    कोरोना ने कर दिया, लोगों को मजबूर पैदल ही घर चल दिए, फंसे हुए मजदूर।   फंसे हुए मजदूर, बहाया जहां पसीना उन शहरों ने, आंखों से हर सपना छीना।    घायलपग ले बोझिल मन, धीरज, ना छोड़ा हर रस्ते का अंहकार, पथिकों ने तोड़ा।   नयी सुबह की आस में, सुप्त होगया देश काल थपेड़े मारता, बदल बदल कर वेश।   बदल बदल कर वेश, लोग बैठे हैं ठाले तम है चारों ओर,दूर तक नहीं उजाले।   मानव जीवन, ईश्वर की अनमोल धरोहर कुदरत इस पर लगा रही है, अपनी मोहर।   नदियां निर्मल हो गयीं, स्वच्छ हुआ आकाश कुछ माहों में हो गया, प्रदूषण का नाश ।   प्रदूषण का नाश,लोग स्वयं को पहचाने वर्षों था परिवार, रहे फिर भी अनजाने ।   धैर्यवान वो लोग, रहे जो अपने घर में बुद्धिमान संकट को, बदल रहे अवसर में।   कोरोना अब होगया,जन जीवन का भाग मानवता के सिंधु में, मंथन की है आग।   मंथन की है आग,शिवा विष पान करेगा कोई दधीचि, पुनः अस्थियां दान करेगा।   सारे जीवन में, परिवर्तन करना होगा आज नहीं तो कल, कोरोना को मरना होगा।  

दिव्यांग मित्र एम एस चिश्ती को मुंबई से मिला ऑनलाइन सम्मान      

दिव्यांग मित्र एम एस चिश्ती को मुंबई से मिला ऑनलाइन सम्मान    मुरादनगर। जनकल्याण सेवा समिति दिव्यांग मित्र एम एस चिश्ती को दादासाहेब फालके आईकॉन फिल्म कंपनी मुंबई के डायरेक्टर कल्याण जाना गरीबों के एक्टर द्वारा कोरोना महामारी के समय दिव्यांग जनों की डोर टू डोर की गई सेवा से प्रभावित होकर ऑनलाइन सम्मान पत्र से सम्मानित किया गया व उज्जवल भविष्य की कामना की। इसकी सूचना मिलते ही संस्था दिव्यांग जनों व नगर में खुशी की लहर दौड़ गई। दिव्यांग मित्र एम एस चिश्ती संस्था व दिव्यांग जनों ने कल्यान जी जाना गरीबों के एक्टर मुंबई का आभार व्यक्त किया।

नीमा उ.प्र ने आई .एस .एम. चिकित्सकों के औचित्य एवं उनके अस्तित्व को मुख्यमंत्री को  लिखा पत्र 

नीमा उ.प्र ने आई .एस .एम. चिकित्सकों के औचित्य एवं उनके अस्तित्व को मुख्यमंत्री को  लिखा पत्र    मुरादनगर।  प्रांतीय नीमा कार्यकारणी मीटिंग में आई एस एम चिकित्सकों के औचित्य एवं उनके अस्तित्व की जिज्ञासा में राष्ट्रीय संगठन नीमा ने माननीय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखा। नीमा प्रदेश मीडिया प्रभारी डॉ फहीम सैफी ने बताया कि पत्र में मुख्यमंत्री से आई एस एम चिकित्सकों पर ध्यान देने का निवेदन किया गया है। कोविड-19 संक्रमण काल के दौरान संगठन ने उत्तर प्रदेश भारतीय चिकित्सा पद्धति के चिकित्सकों का प्रतिनिधित्व करते हुए अपने संगठन एनआई एम ए की ओर से प्रदेश की स्वास्थ्य और चिकित्सा व्यवस्था के लिए सकारात्मक सुझाव एवं सक्रिय सहयोग प्रदान करने हेतु प्रदेश सरकार से संबंधित विभाग को अपने पत्र एवं संदेश प्रेषित किए हैं। परंतु दुर्भाग्य से अब तक कोई सकारात्मक  कदम नहीं उठाया गया है।   इस संक्रमण काल कोविड-19 में भी अपने प्रदेश सहित संपूर्ण देश में भारतीय चिकित्सा पद्धति (इंडियन सिस्टम सिस्टम ऑफ मेडिसीन )के चिकित्सकों द्वारा देश -प्रदेश के स्वास्थ्य एवं चिकित्सा व्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदा

तथाकथित नेता के भुलावे में व्यापारियों ने खाई लाठी 

तथाकथित नेता के भुलावे में व्यापारियों ने खाई लाठी    मुरादनगर। शुक्रवार 15 मई शायद मुरादनगर के व्यापारियों को  पूरी उम्र भूले नहीं  पाएंगे क्योंकि उन्होंने तथाकथित व्यापारी नेताओं के कारण ही उनको पुलिस प्रशासन की लाठी का शिकार बनना पड़ा। नगर के किसी व्यापार मंडल के तथाकथित स्वयंभू अध्यक्ष ने व्हाट्सएप ग्रुपों पर सभी व्यापारियों के लिए यह संदेश चलाया कि पुलिस प्रशासन की पुलिस व प्रशासनिक अधिकारियों से वार्ता के बाद यह तय हुआ है कि प्रातः से कुछ घंटों के लिए बाजार निर्विवाद रूप से खुलेंगे। व्यापारी उस ही मैसेज को सरकार का फैसला समझ बैठे क्योंकि मैसेज स्वयंभू अध्यक्ष ने किया था। केंद्र सरकार द्वारा घोषित लॉक डाउन में बताए गए दिशा निर्देशों के अनुसार अभी तक नगर के व्यापारी कार्य कर रहे थे। कुछ की दुकानें खुली थी किन्ही कारणों से बाकी दुकानों को खोलने की अनुमति प्रशासन ने नहीं दी। इस आपातकाल में बड़ी संख्या में लोग सरकारी दिशानिर्देशों का पालन कर रहे हैं और यहां के व्यवसाई भी सरकार के अगले कदम और घोषणाओं के इंतजार में अपने घरों में बैठे थे।  व्यापारी वर्ग का व्यक्ति यदि 1 दिन भी घर में बै

कविता - मजदूर कौन होता है

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  इशरत रिजवी  मजदूर कौन होता है क्या मजबूर ही मजदूर होता है? सिर्फ मजबूर होता गर मजदूर तो मास्जिद मंदिर य़ा चौराहे पे  भीख मांगता मजदूर मजदूर गरीब होता है इसलिये  मजदूर  होता है  सिर्फ़ गरीब होता तो चोरी बे ईमानी  से पैसा बना लेता मजदूर  मगर मजदूर वो होता है जो खुद्दार   होता है ज़िम्मेदार होता है।  ईमान दार होता है मेहनती होता हैँ  वफादार होता है  इसलिये मजदूरी करता हूँ  और मजदूर  कहलाता हूँ  मेरी मेहनत की कीमत अगर दी गयी होती  तो आज अम्बानी और अडानी इतने मगरूर नहीं होते     इशरत रिज़वी  

खाने का संकट, मजबूर मजदूर कर रहे हैं पलायन, सपा नेता कर रहे हैं मदद

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खाने का संकट, मजबूर मजदूर कर रहे हैं पलायन, सपा नेता कर रहे हैं मदद     मुरादनगर। तालाबंदी के कारण मजदूर दयनीय स्थिति में पहुंच गए हैं। जिन स्थानों पर कार्य कर रोजी रोटी कमा रहे थे। कोरोना के कहर के कारण वह बेरोजगार हो पलायन करने को विवश है यह कहना है, समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता कुंवर फारुख चौधरी  का  उन्होंने कहा कि स्थिति बहुत ज्यादा खराब हो गई है। देश के तरक्की की  रीड की हड्डी कहे जाने वाले श्रमिक आज भुखमरी के कगार पर है। काम न मिलने के कारण वह दर दर की ठोकरें खाने को मजबूर है। ऐसे प्रवासी मजदूरों को वह निरंतर अपने साथियों के साथ जरूरतमंद लोगों को तलाश कर उन्हें भोजन आदि की व्यवस्था करा रहे हैं। उन्होंने बताया कि यह प्रवासी मजदूर बिहार, झारखंड, पूर्वी उत्तर प्रदेश पश्चिमी बंगाल मध्य प्रदेश के हैं। रोजगार बंद होने से आय बंद हो गयी। जिसके कारण विवश मजदूर पैदल ही अपने घर के लिए चले हैं। भूखे प्यासे सैकड़ों  लंबी यात्रा और उनके पास खाने तक के लिए नहीं है। प्रवासी मजदूरों की सहायता के लिए सरकार ने सहायता के पूर्ण प्रबंध नहीं किए हैं। जिससे उनकी हालत भूख से मरने तक की आ गई  है। यदि

अधिवक्ताओं को मिले सहायता - विजय गौड़

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अधिवक्ताओं को मिले सहायता - विजय गौड़     मुरादनगर। कोरोना महामारी से प्रभावित हुए बिना समाज का कोई भी वर्ग नहीं बचा है।वकीलों को भी इस आपदा ने आर्थिक कंगाली की हालत में पहुंचा दिया है। बार एसोसिएशन गाजियाबाद के सचिव विजय गौड़ ने बताया कि लॉक डाउन के कारण लंबे समय से न्यायालय में कार्य नहीं हो पा रहा। देश में हालात कर्फ्यू जैसे हैं। जिसके कारण तहसील मुख्यालयों पर व्यापार कर लेबर कोर्ट इनकम टैक्स तथा अन्य ट्रिब्यूनल में विधि व्यवसाय रथ अधिवक्ता तथा उनके कर्मचारी काफी कठिनाई में पहुंच गए हैं। लॉक डाउन के कारण उनकी आय समाप्त हो गई है। लेकिन सरकार ने अधिवक्ताओं के लिए कोई सहायता नहीं दी इस बारे में उत्तर प्रदेश अधिवक्ता कल्याणकारी ट्रस्ट कमेटी को पत्र लिखकर अधिवक्ताओं को सहायता देने की मांग की गई है। गौड ने बताया कि जो अधिवक्ता बार काउंसिल से पंजीकृत हो और नियमित रूप से विधि व्यवसाय रत है। उनके लिए सामूहिक खंड बनाया जाए फंड एकत्र करने के लिए जिला न्यायालय में प्रति वकालतनामा सो रुपए उच्च न्यायालय ₹200 तथा सीनियर डेजिग्नेटिड अधिवक्ताओं से ₹500 की धनराशि प्रति मामले में एकत्र की जाए। उन्हों