ग्रीन वॉल बनाने हेतु "पांच करोड़ी हरित पदयात्रा" का ग्रीन मैंन ने किया ऐलान





11 दिसंबर को "ग्रीन वॉल ऑफ इंडिया" का भूमि पूजन होगा पोरबंदर में

 

"प्रदूषण मुक्त भारत" के लिए जरूरी है ग्रीन वॉल ऑफ इंडिया: बघेल

 


 

गाजियाबाद। ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन के गंभीर समस्या का दंश पूरा विश्व झेेेल रहा है लेकिन भारत में बढ़ते प्रदूषण से हो रहे प्राकृतिक असंतुलन के निदान के लिए व्यवहारिक योजनाओं का अभाव दिखाई दे रहा है। देश में आज पर्यावरण आपातकाल की स्थिति है सांसों का अकाल पड़ रहा है। जिसका मूल कारण घटती हरियाली ही है क्योंकि सांस बनाने के कारखाने माने जाने वाले वृक्ष कम हो रहे हैं। मौसम बदलाव के समय तो देश एक गैस चेंबर बन जाता है जिसका दोष दिवाली और पराली को देकर सरकारें एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप करके अपने दायित्व का निर्वहन कर रही है। 

भौतिक युग में प्रकृति की किसी को कोई चिंता नहीं है। जिसके घातक परिणाम भावी पीढ़ियों को झेलने पड़ेंगे। पानी बोतल की तरह ऑक्सीजन सिलेंडर साथ लेकर चलने की नौबत आ गई है, जिसका निदान अब केवल "ग्रीन वॉल ऑफ इंडिया" बनाने से ही संभव है जो अरावली पर्वतमाला का कवच बनकर पश्चिमी विश्व के वायु दबाव में आने वाली रेगिस्तान की धूल को रोकने का काम करेगी। गुजरात से दिल्ली व हरियाणा तक "ग्रीनवॉल" विकसित कराने की मांग उठाने वाले विजयपाल बघेल ने यह बातें संवाददाता सम्मेलन में कही।


 बघेल ने बताया कि पोरबंदर से लेकर कुरुक्षेत्र तक 16 सौ किलोमीटर लंबी और 5 किलोमीटर चौड़ी "ग्रीन वैली" विकसित कराए जाने की मांग संयुक्त राष्ट्र संघ समक्ष cop -14 के माध्यम से उठाई गई थी। जिस पर भारत सरकार विचार कर रही है। 11 दिसंबर के दिन दुनिया "विश्व पर्वत दिवस" मनाती है उस दिन अरावली पर्वत श्रंखला के अस्तित्व की रक्षा करने और 'ग्रीन वॉल ऑफ इंडिया' बनाने की मांग को लेकर 'ग्लोबल ग्रीन पीस मिशन' के तत्वाधान में '5 करोड़ी हरित पगयात्रा' का शुभारंभ गुजरात के पोरबंदर से हो रहा है। यह 100 दिवसीय पदयात्रा 4 राज्यों के 28 जिलों से गुजरेगी। अरब सागर से शुरू होकर गुजरात, राजस्थान, दिल्ली और हरियाणा के कुरुक्षेत्र तक यानी कि हिमालय की तलहटी में शिवालिक पर्वत श्रेणी को छूने वाली इस प्रस्तावित वाल के साथ 16 सौ किलोमीटर लंबी पदयात्रा में 5 करोड़ कदम चलने का संकल्प लिया गया है।

 उन्होंने बताया कि प्रतिदिन 15 से 20 किलोमीटर दूरी इस पद यात्रा के दौरान तय करने में 100 पड़ाव रहेंगे। इस राष्ट्रीय पद यात्रा का समापन 21 मार्च को विश्व वानिकी दिवस के अवसर पर हरियाणा के कुरुक्षेत्र में होगा। 

बघेल ने यह भी बताया कि 11 दिसंबर को गुजरात के पोरबंदर में 'ग्रीन वॉल ऑफ इंडिया' का भूमि पूजन होगा। जिसके अंतर्गत भारत के राष्ट्रीय वृक्ष बरगद का रोपण किया जाएगा तथा जहां-जहां यात्रा का प्रवास होगा उन स्थानों पर स्मृति के रूप में प्रतीकात्मक पौधारोपण होगा। जन जागरूकता और जन सहभागिता के उद्देश्य से ही इस अनूठी पहल को 'हरित साधना' के रूप में संचालित किया जा रहा है, जो देश की सेहत सुधारने में अपनी अग्रणी भूमिका निभाएगी। इस कार्य का सूत्रपात गाजियाबाद से ही हुआ है और संचालन भी यहीं की टीम स्थानीय सहयोग द्वारा कर रही है। 

संवाददाता सम्मेलन में इस अवसर पर ई- टोपर्स के एमडी डॉक्टर अरुण कुमार, पदयात्रा के निदेशक वाई पी सिंह, मीडिया समन्वयक विजेंद्र पाल, नियंत्रक चौधरी मंगल सिंह, प्रभारी मास्टर विजय सिंह, कोऑर्डिनेटर नीतू सिंह, प्रमुख संदीप त्यागी तथा आयोजक मंडल से आरसी पाल, अजय सैनी, बीसपाल, प्रीति सिंह और पाल श्रीकांत, शारदा पाल, सरोज, बीकेएस पाल, अरुण सैनी आदि प्रमुख रहे।




 


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