बॉक्स के बाहर लिखना होगा रोल नंबर का पहला अंक


बॉक्स के बाहर लिखना होगा रोल नंबर का पहला अंक




 

केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा मंडल (सीबीएसई) की 10वीं-12वीं की बोर्ड परीक्षा में शामिल हो रहे छात्र-छात्राओं को इस बार 8 अंकों के रोल नंबर को भरने ओएमआर शीट में एक बॉक्स खुद बनाना होगा। दरअसल, ऐसी सूचना आ रही है कि बोर्ड द्वारा प्रिंट कराई गई ओएमआर शीट में सिर्फ रोल नंबर भरने सिर्फ 7 बॉक्स बने हैं, जबकि बोर्ड द्वारा वेबसाइट पर जारी प्रवेश पत्र में 8 अंकों का रोल नंबर जारी किया गया है। इस संबंध में संबद्ध स्कूलों को सीबीएसई द्वारा सूचना भेजे जाने की बात कही जा रही है।


 

बोर्ड परीक्षा के प्रवेश पत्र जारी: केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड यानी सीबीएसई ने नियमित छात्र-छात्राओं के लिए 10वीं 12वीं बोर्ड परीक्षा के प्रवेश पत्र रविवार देर शाम जारी कर दिए हैं। सीबीएसई से संबद्ध स्कूल संस्थान की आधिकारिक वेबसाइट इबमजी.हैब.ैह से प्रवेश पत्र के अलावा केंद्र की जानकारी भी डाउनलोड कर सकते हैं। छात्र-छात्राओं को अपने संबंधित स्कूलों से प्रवेश पत्र प्राप्त करना होगा। ध्यान रखें कि स्कूल प्राचार्य के सील व हस्ताक्षर वाले प्रवेश पत्र ही मान्य होंगे। 

प्रवेश पत्र में इन बातों का रखें ध्यान

- प्रवेश पत्र में छात्र ये अनिवार्य रूप से देखे कि उसका व्यक्तिगत विवरण व फोटोग्राफ स्पष्ट है कि नहीं। प्रवेश पत्र में स्पेलिंग्स को अच्छे से देख लें, एक गलती के कारण परीक्षा कक्ष में उन्हें दिक्कत हो सकती है। 

- प्रवेश पत्र पर नाम, अपने पिता-माता का नाम व जन्मतिथि की अच्छे से जांच कर लें। सुनिश्चित करें कि वे सही हैं। 

- प्रवेश पत्र में इस बात की अच्छे से पड़ताल कर लें कि उन्होंने अपने आवेदन में जो विषय कोड भरा था, वही प्रिंट है कि नहीं। प्रवेश पत्र पर अपने हस्ताक्षर भी जांच कर लें, क्योंकि इसका मिलान परीक्षा कक्ष में किया जाएगा। 

- प्रवेश पत्र में स्कूल के प्रधानाचार्य के हस्ताक्षर, आपके हस्ताक्षर और माता-पिता या अभिभावक के हस्ताक्षर होने जरूरी हैं। यदि प्रवेश पत्र में अपेक्षित हस्ताक्षर नहीं हैं तो छात्रों को परीक्षा हॉल में प्रवेश करने की अनुमति नहीं दी जाएगी। 

- प्रवेश पत्र पर प्राचार्य के अलावा छात्रों व उनके अभिभावकों से भी हस्ताक्षर कराने होंगे। छात्रों को इस पर हस्ताक्षर करना होंगे और अभिभावक से भी करवाने होंगे। 

परीक्षाएं 15 फरवरी से 

सीबीएसई बोर्ड परीक्षा 15 फरवरी से शुरू होकर 28 मार्च, 2020 को समाप्त होगी। व्यावहारिक परीक्षाएं वर्तमान में विभिन्न् स्कूलों में चल रही हैं। परिणाम अप्रैल के अंत या मई के पहले सप्ताह तक घोषित किए जाएंगे। 

परीक्षा की अवधि सवा तीन घंटे

सीबीएसई की 10वीं-12वीं की बोर्ड परीक्षा में प्रत्येक पेपर की समयावधि सवा तीन घंटे की होगी। इसमें 3 घंटे का समय उत्तर लिखने के लिए है। जबकि पहले 15 मिनट छात्र-छात्राओं को प्रश्नपत्र पढ़ने के लिए दिया जाएगा। सुबह 10.15 बजे परीक्षा कक्ष में प्रश्नपत्र का वितरण होगा। जबकि उत्तर लिखने की शुरुआत सुबह 10.30 बजे से छात्रों को करनी होगी। इसके पहले निर्धारित परीक्षा केंद्र पर छात्र-छात्राओं को अनिवार्यत: सुबह 10 बजे तक पहुंचना होगा। इसके बाद गेट बंद हो जाएगा। 

दिव्यांग छात्र-छात्राओं को 30 मिनट अधिक

बोर्ड परीक्षा में बैठ रहे दिव्यांग छात्र-छात्राओं को इस बार सीबीएसई ने पहले से अधिक समय देकर राहत प्रदान की है। नई व्यवस्था के अनुसार दो घंटे के पेपर में 10 मिनट, ढाई घंटे के पेपर में 20 मिनट और तीन घंटे के पेपर में 30 मिनट का अतिरिक्त समय दिव्यांग छात्र-छात्राओं को दिया जाएगा। सीबीएसई ने इस संबंध में स्कूल प्रबंधकों को साफ शब्दों में हिदायत दी है कि वे दिव्यांग परीक्षार्थी पर प्रश्नपत्र जल्दी हल करने का दबाव न बनाएं। मददगार के रूप में उनके साथ दोस्ताना व्यवहार करें। 

गणित में 20 नंबर का प्रैक्टिकल, 80 की थ्योरी

सीबीएसई की 12वीं परीक्षा में ये पहला मौका है जब विद्यार्थी गणित विषय की भी प्रायोगिक परीक्षा देंगे। लैब मैनुअल एक्टिविटी के अंतर्गत प्रैक्टिकल के लिए 20 अंक तय किए गए हैं। जबकि थ्योरी के लिए 80 अंक हैं। छात्र जो थ्योरी पढ़ेंगे उसका प्रैक्टिकल गणित लैब में जाकर करेंगे। कहने का मतलब ये कि विद्यार्थी मॉडल, कटिंग आदि के माध्यम से गणितीय समाधानों को प्रस्तुत करेंगे। 

अपलोड करने होंगे अंक

केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा मंडल द्वारा 12वीं बोर्ड परीक्षा में शामिल हो रहे छात्र-छात्राओं के आंतरिक मूल्यांकन के अंकों को अपलोड करने अपनी वेबसाइट पर 17 जनवरी को लिंक एक्टिवेट कर दी है। इसे  वेबसाइट इबमजी.हैब.ैह पर देखा जा सकता है। 

एक दिन में जांचने मिलेंगी 30 कॉपियां 

परीक्षा परिणाम की गुणवत्ता को बनाए रखने के लिए एक शिक्षक एक दिन में 25 से 30 कॉपियां ही जांच सकेगा। सीबीएसई के निर्देशानुसार मूल्यांकन के साथ जांचकर्ता को उसी दिन अंक भी अपलोड करना होगा। सीबीएसई ने कहा कि कॉपियों का मूल्यांकन तय नीति के अलावा अपनी बौद्धिक क्षमता से करें। इस बात का ध्यान रखें कि किसी छात्र का नुकसान न हो पाए। 

जिला नहीं छोड़ सकेंगे प्राचार्य

बोर्ड परीक्षाओं का परिणाम समय पर आ सके, इसके लिए सीबीएसई ने निर्देश जारी करते हुए प्राचार्यों से कहा है कि वे जब तक परीक्षा और मूल्यांकन पूरा न हो जाए तब तक वे जिला नहीं छोड़ेंगे। सीबीएसई के निर्देशानुसार यदि कोई मूल्यांकनकर्ता कॉपियों की जांच के दौरान अवकाश चाहता है तो प्राचार्य या स्कूल प्रबंधक नहीं, बल्कि मुख्य परीक्षक से उसे अनुमति लेना होगी। मूल्यांकन कार्य हर हाल में 10 से 12 दिन में पूरा करना होगा ताकि समय पर रिजल्ट जारी हो सके। 

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सीबीएसई की बोर्ड परीक्षा के लिए जो रोल नंबर जारी किए गए हैं वे 8 अंकों के हैं, जबकि ओएमआर शीट पर रोल नंबर भरने के लिए सिर्फ 7 बॉक्स मिलेंगे। हालांकि छात्र-छात्राओं को भ्रमित होने या घबराने की जरूरत नहीं है। सीबीएसई ने रोल नंबर भरने का उपाय भी बता दिया है। उदाहरण के लिए यदि आपका रोल नंबर 12345678 है तो पहला अंक यानी 1 नंबर बॉक्स के बाहर लिख देना है, शेष 7 अंक तय बॉक्स में क्रम से भरना है। परीक्षा कक्ष में विद्यार्थियों को प्रश्न पत्र पढ़ने के लिए पहले की तरह ही 15 मिनट मिलेंगे। समयावधि के मामले में दिव्यांग छात्र-छात्राओं के अतिरिक्त समय में बढ़ोतरी की गई है। स्कूलों में प्रैक्टिकल एग्जाम जारी हैं। पहली बार गणित विषय में प्रैक्टिकल हो रहा है। 

अपूर्व मजूमदार, गणितज्ञ, केंद्रीय विद्यालय संगठन

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कलाई पर घड़ी भी नहीं होगी मान्य, यूनिफॉर्म में आना होगा

 

केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा मंडल (सीबीएसई) की बोर्ड परीक्षाओं में अभी तक कैलकुलेटर व अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरण ले जाने पर ही पाबंदी थी। लेकिन, इस बार बोर्ड ने छात्र-छात्राओं द्वारा हाथ की कलाई पर बंधी घड़ी को भी प्रतिबंध के दायरे में लिया है। साथ ही परीक्षार्थी को परीक्षा केंद्र पर यूनिफॉर्म पहनकर आना अनिवार्य होगा। 

फरवरी से शुरू होने वाली 10वीं-12वीं बोर्ड परीक्षाओं के लिए सीबीएसई ने जो निर्देश जारी किए हैं, उनके अनुसार परीक्षार्थी डिजिटल या स्मार्ट घड़ी नहीं पहन सकेंगे। बोर्ड के परीक्षा नियंत्रक की ओर से जारी दिशा निर्देश में कहा गया कि परीक्षा के दौरान हर कमरे में घड़ी लगी रहेगी, वह हर घंटे के बाद घंटी बजाएगी। ऐसे में घड़ी पहनकर आने वालों की घड़ी परीक्षा के दौरान निकाल ली जाएगी। सीबीएसई की ओर से यह नियम पहली बार लागू किया गया है। सीआईएससीई की परीक्षाओं में भी बदले नियम लागू होंगे। सीबीएसई की ओर से होने वाली प्रतियोगी परीक्षाओं में डिजिटल या स्मार्ट घड़ी पर पहले से ही पाबंदी है। अब दसवीं और बारहवीं की परीक्षा में भी बदले नियम लागू होंगे। 

सीआईएससीई ने भी लगाई पाबंदी

सीबीएसई के साथ ही सीआईएससीई ने भी दसवीं और बारहवीं के बोर्ड परीक्षार्थियों को डिजिटल और स्मार्ट घड़ी पहनकर केंद्र पर आने पर पाबंदी लगा दी गई है। बोर्ड की ओर से जारी निर्देश में कहा गया कि यदि कोई परीक्षार्थी केंद्र पर स्मार्ट घड़ी पहनकर चले आए तो भीतर प्रवेश से पहले उन्हें घड़ी खोलनी पड़ेगी। सीबीएसई के परीक्षा नियंत्रक संयम भारद्वाज का कहना है कि परीक्षा केंद्र के कमरों में दीवार घड़ी लगी रहेगी, हर घंटे पर घंटी बजाकर समय की सूचना दी जाएगी। कोई परीक्षार्थी घड़ी पहनकर आएगा तो उतरवा दिया जाएगा।

यूनिफॉर्म पहनना अनिवार्य: सीबीएसई और सीआईएससीई ने बोर्ड परीक्षा के दौरान सभी परीक्षार्थियों को यूनीफार्म में परीक्षा केंद्र पर आना अनिवार्य कर दिया है। सीबीएसई सभी केंद्रों को निर्देश दिया है कि केंद्रों पर परीक्षार्थियों की गिनती और पहचान उनके यूनीफार्म से की जाए। यदि एक परीक्षा केंद्र पर कई विद्यालयों का केंद्र हो तो ऐसे परीक्षार्थियों को मिलाकर बैठाना होगा। सीआईएससीई की परीक्षा के दौरान परीक्षा केंद्र अपने विद्यालय में ही होती है, इसके बाद भी सभी परीक्षार्थी यूनीफार्म में आएं। 

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समानता का भाव लाने विवि व कॉलेजों में बनाए जाएंगे जेंडर चैंपियंस

 

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देशभर के विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में छात्र-छात्राओं में एक-दूसरे के प्रति समानता का भाव जागृत करने के लिए जेंडर चैंपियन कैंपस बनाए जाएंगे। छात्र-छात्राओं को जेंडर चैंपियन बनाकर जागरूकता के लिए वाद-विवाद, नुक्कड़ नाटक आदि का आयोजन होगा। इस संबंध विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने निर्देश जारी कर सभी विश्वविद्यालयों से 25 जनवरी तक रिपोर्ट सबमिट करने कहा है। हालांकि इस तरह के निर्देश पहले भी जारी किए गए थे, लेकिन इस बार यूजीसी मामले को लेकर गंभीर है। 

विश्वविद्यालयों व कॉलेजों में छात्र-छात्राओं के बीच भेदभाव न हो, इसके लिए नियुक्त होने वाले जेंडर चैंपियन युवाओं को लैंगिक समानता का पाठ पढ़ाने के लिए अहम गतिविधियों का हिस्सा होंगे। यूजीसी की नई कार्ययोजना के तहत संस्थानों में विमेंस सेल स्कीम के तहत जेंडर चैंपियन क्लब का गठन किया जाएगा। चुने गए जेंडर चैंपियनों को बाकायदा सकारात्मक और प्रेरणात्मक कार्यक्रम चलाने प्रशिक्षित किया जाएगा। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग का ऐसा मानना है कि छात्र-छात्राएं अपने हम उम्र साथियों के साथ यूनिवर्सिटी और कॉलेज कैंपस में पढ़ाई-लिखाई के लिए लंबा समय साथ-साथ गुजारते हैं। इसलिए लैंगिक समानता के लिए उधा शिक्षण संस्थानों की भूमिका महत्वपूर्ण हो सकती है। यूजीसी की संयुक्त सचिव अर्चना ठाकुर ने पिछले मंगलवार को इस संबंध में सभी विश्वविद्यालयों को निर्देश जारी किया है।  इसके पहले यूजीसी ने अप्रैल में निर्देश जारी किए थे। उच्च शिक्षा से जुड़े विशेषज्ञों के अनुसार यूजीसी की यह अच्छी पहल है। लैंगिक समानता के प्रति जागरूकता के लिए एक दीर्घकालिक और स्थायी सामाजिक बदलाव की जरूरत है। 

ये होंगी गतिविधियां

उच्च शिक्षा संस्थानों में बनाए जाने वाले विशेष कैंपस में जेंडर चैंपियन के लिए सामूहिक चर्चा, वाद-विवाद, पोस्टर मेकिंग, भाषण, स्लोगन राइटिंग प्रतियोगिताओं के जरिए जागरूकता अभियान चलाया जाएगा। 

वर्कशॉप, नुक्कड़ नाटक, प्रतियोगिताओं का आयोजन इसी क्लब के तहत होंगे। जेंडर चैंपियन क्लब के सदस्य सोशल नेटवर्किंग साइट्स और ब्लॉग के जरिए भी लैंगिक समानता के लिए स्टूडेंट्स को जागरूक करेंगे। 

महिला अधिकारों और सुरक्षा से जुड़ी हेल्पलाइन नंबर, कानूनी अधिकारों का पाठ भी पढ़ाया जाएगा। 

कॉलेजों में लैंगिक समानता को बढ़ावा देने के लिए एक छात्र और एक छात्रा को जेंडर चैंपियन बनाया जाएगा। 

महाविद्यालयों/ विश्वविद्यालयों में छात्राओं के लिए बेहतरीन माहौल तैयार करने और उन्हें आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करने की जिम्मेदारी इन्हीं चैंपियन की होंगी। इसके लिए योजना बनाई गई है। 

चुने गए जेंडर चैंपियनों को बाकायदा सकारात्मक और प्रेरणात्मक कार्यक्रम चलाने की ट्रेनिंग भी दी जाएगी। 

जेंडर चैंपियन बनने ये होगी योग्यता

विश्वविद्यालयों या महाविद्यालयों में जेंडर चैंपियन बनने के लिए छात्र-छात्राओं को न्यूनतम 50 प्रतिशत अंक प्राप्त करना अनिवार्य होगा। 

कक्षा में उपस्थिति, बोलने की क्षमता, प्रेजेंटेशन स्किल आदि भी जेंडर चैंपियन के चयन के आधार होंगे। चयन प्रक्रिया के लिए विधिवत नोटिस बोर्ड पर सूचना जारी कर छात्रों से आवेदन मांगें जाएंगे। 

जेंडर चैंपियन के कार्यों और क्लब की देखरेख के लिए संस्थानों को एक नोडल अधिकारी नियुक्त करना होगा।




 


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