आशु मलिक ने सदन में उठाया गन्ना किसानों का मुद्दा   

आशु मलिक ने सदन में उठाया गन्ना किसानों का मुद्दा   



मुरादनगर। भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने चुनाव के समय पर वादा किया था कि किसानों की आय दोगुनी करेंगे तथा गन्नों का बकाया 14  दिन के अंदर भुगतान करेंगे किंतु वर्तमान में गन्ना किसान की हालत खराब है। 3 साल से गन्ना भुगतान बकाया है। इस सरकार ने गन्ने की कीमतों में कोई वृद्धि नहीं की है। गन्ने की वर्तमान लागत रु 310 प्रति कुंटल से भी अधिक हो रही है। जबकि सरकार मूल्य मात्र ₹315 व  ₹325 प्रति कुंतल है। निजी करेसरों पर रुपए 160/190 रुपए कुंतल के दाम भी नहीं मिल रहे हैं। ऊपर से गन्ने की पत्ती जलाने पर किसानों के चालान कर उत्पीड़न किया जा रहा है।



गन्ने की पत्ती हटाने के लिए सरकार की ओर से कोई सहयोग नहीं मिल रहा है। गन्ने की वर्तमान कीमत कम से कम रुपए 450 प्रति कुंतल होना चाहिए। किसानों द्वारा गन्ने का अधिक उत्पादन लगभग 300 कुंतल प्रति एकड़ से भी अधिक किया जा रहा है। लेकिन शासन की नीति 240 प्रति कुंतल से अधिक की पर्ची गन्ना के किसानों को नहीं मिलती है। इस प्रकार प्रकार लगभग 7 क्विंटल प्रति एकड़ उसे निजी करेसर को देना पड़ता है। 


गन्ने में रेडरोड बीमारी का उपाय भी अभी तक सरकार नहीं कर पाई है। गन्ना क्रय केंद्रों पर ठेकेदार किसानों से जबरदस्ती गन्ने के पैसे वसूल रहे हैं। बैंकों से किसानों के कर्ज की वसूली आरसी जारी हो रही है। गन्ना चीनी मिलें जानबूझकर पेराई कम कर रही है और गन्ना पर्ची में धांधली हो रही है। गन्ना माफिया गन्ने की खरीद मीलों से सांठगांठ कर मीलों को सपलाई कर रहें हैं।               


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