भाजपा नेत्री अनिला सिंह आर्य ने शहीदों शहीदों को की सुमन श्रद्धांजलि अर्पित
भाजपा नेत्री अनिला सिंह आर्य ने शहीदों शहीदों को की सुमन श्रद्धांजलि अर्पित
मोदीनगर। जिन्होंने हमें गुलामी की बेड़ियों से मुक्त कराया था। ऐसे ही महान क्रांतिकारी शहीद भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव ने अपने आप को देश पर समर्पित कर दिया था। पूरा देश उन्हें देश नमन करता है। हर कोई आज उन्हें हृदय से श्रद्धांजलि अर्पित कर रहा है। जो हँसते हँसते गुलामी की बेड़ियों को काटने के लिए फाँसी के फंदे को गले में पहन झूले और देश पर कुर्बान हो अनजानी राह पर चले गये। यह भी न सोचा कि अभी कुछ जीवन जीया भी नहीं। नहीं सोचा माँ का सीना कैसे तार तार होगा। धरती फटेगी नहीं वह तड़पेगी। ऐसी ज्वाला और ठंडक वाली बारिश होगी नहीं।
शहीदों के परिजनों की आवाज मित्रों रोने कीे चरम पर निकली तो होगी परंतु सुनाई नहीं दी होगी। शहीद देश पर मिटने वाले अवैतनिक थे। बच जाते तो कोई पैंशन या फण्ड का प्रावधान नहीं था। न ही इस उम्मीद को लेकर फाँसी का फंदा जयमाला की तरह चूम कर पहना था कि पीछे वालों की जिंदगी सुरक्षित होगी।
डॉक्टर अनिला सिंह ने कहा कि हम शहीदों के सपनों वो जुनून के गुलाम थे आजादी के दीवाने थे मातृभूमि के भक्त थे। दिनरात आँखों में तस्वीर आजाद हिंदुस्तान की बनाते थे। वो चले गये यह भी न सोचा कि हम जिंदा रहेंगे तभी तो आजादी का जश्न देखेंगे।
हमारे लिए छोड़ गये परवाने जश्नेआजादी मनाने के लिए। अगर वो होते तो श्रद्धासुमन किसे अर्पित करते। वो फांसी के फंदे पर झूल कर अमर हो गये।
क्या हुआ उनके वारिस नहीं हुए। वो आज भी चप्पे चप्पे में नजर आते युवा देशभक्त हैं। उन शहीदों को अमर रहे के नारे से धरती आकाश और पाताल में गूंज बहती है उमंगित करती है हर नागरिक को।
यह देश सदैव ऋणी रहेगा उन मतवालों का जिन्होंने शहीदी को मजहब बना दिया।
इतिहास राजनीति की तुरुप के पराधीन होता है और राजनीति में किसी उभरते के पर कैसे कटें चाहे वो जान से जाए इससे अच्छा उदाहरण कहाँ मिलेगा। लेकिन कैसे ढीठ थे कि तारीख में खुद को अमर कर दिया। जब तक चाँद सूरज रहेंगे इनके निशान कोई मिटा नहीं सकता।
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