ग़ज़ल : आज दुनिया में क्या नहीं होता

ग़ज़ल



        बलजीत सिंह बेनाम


आज दुनिया में क्या नहीं होता


किस जगह हादसा नहीं होता। 


 


ये नज़र का फ़क़त छलावा है


कोई अच्छा बुरा नहीं होता। 


 


गर मोहब्बत नहीं बता दो तुम


बेसबब रतजगा नहीं होता। 


 


जब कभी वो क़रीब होते हैं


दर्द का कुछ पता नहीं होता। 


 


ज़हन है तो विचार आएंगे


जिस्म से सर कटा नहीं होता।


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