जैन मंदिर में मना चातुर्मास
जैन मंदिर में मना चातुर्मास
मुरादनगर। मुनि सौम्य मूर्ति 108 पीयूष सागर ने कहा कि प्राणी मात्र के कल्याण का चिंतन मानव को श्रेष्ठ बनाने वाला है। राग द्वेष से मुक्त हो जाने पर ही आत्मा मे परमात्मा की पात्रता का उदय होता है।
गंगनहर कावड़ मार्ग स्थित जैन मंदिर में चातुर्मास के दौरान उन्होंने कहा कि अग्नि, जल व वायु अपने गुणों, स्वभाव को कभी नही छोड़ते। हमें भी अपने मानवीय स्वभाव को कभी नहीं त्यागना चाहिए। उन्होंने कहा कि खाने के लिए नहीं अपितु जीने के लिए खाने का अभ्यास बनाएं।
जिओ और जीने दो का संकल्प व्यक्ति में सच्चा सुख प्रदान करने वाला है। अहिंसा, दया, प्रेम, वात्सल्य भाव से ओत प्रोत धर्म ही श्रेष्ठ है। मात्र अपना भला चाहने वाला व्यक्ति दुर्योधन रूपी पापात्मा, अपनों का भला चाहने वाला युधिष्ठिर रूपी पुण्यात्मा और सर्व हित रूपी कर्तव्य पथ पर चलने वाला परमात्मा श्रीकृष्ण बन जाता है। बीमारियों से बचने के लिए आहार विहार में सुधार करें। स्वच्छता का पालन करें।
हमारा रहन सहन व भोजन अच्छा होगा तभी अच्छे विचार आयेंगे साथ ही अन्तर्मन प्रसन्न रहेगा। उन्होने बताया कि अन्तर्मना आचार्य श्री 108 प्रसत्ना सागर यहाँ अन्न जल त्यागकर 51 दिनों के उपवास पर है। आगामी 17 अगस्त को उनके व्रत का पारायण होगा।
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