नव हस्ताक्षरों को सही मार्ग दिखाएं पत्रकार, सरकार भी करें मदद - मुकेश सोनी

नव हस्ताक्षरों को सही मार्ग दिखाएं पत्रकार, सरकार भी करें मदद - मुकेश सोनी



मुरादनगर। पत्रकारों के प्रति लोगों का नजरिया बदल रहा है। पहले पत्रकार को सम्मान से देखा जाता था लेकिन अब लोगों की निगाह में शक पैदा हो गया है। उसके लिए कुछ अवांछनीय तत्व लोगों को भ्रमित कर रहे हैं। वहीं इसी कौम के लोग भी इसके लिए कम जिम्मेदार नहीं है। यह बातें श्रमजीवी पत्रकार संघ के संस्थापक व संरक्षक मुकेश सोनी ने सामाजिक संस्था कर्तव्य द्वारा आयोजित आज का समाज कैसा हो परिचर्चा में बोलते हुए कहीं। उन्होंने कहा कि वरिष्ठ पत्रकार युवा पीढ़ी का उचित मार्गदर्शन करने के बजाए उन्हें फर्जी सिद्ध कर देते हैं। जिन्हें फर्जी करार दिया जाता है। पत्रकारों को एक बार यह भी सोचना चाहिए कि वह लोग समाज में आपको मिलने वाले स्थान व सम्मान को देखकर इस चुनौतीपूर्ण कार्य को चुनता है। ग्लैमर की दुनिया की चकाचौंध के सितारों को आदर्श न मान वह हमारे पद चिन्हों चलना चाहता है। उनका फर्जी कहकर अपमान करना अपने साथ भी अन्याय होगा। दुनिया में इस पेशे में बहुत कम संख्या में पत्रकार हैं। 


पत्रकार लोकतंत्र का चौथा स्तंभ माना गया है। उसके कार्य पीड़ितों को न्याय दिलाना अन्याय के खिलाफ आवाज उठाना लोगों के दुख दर्द देश दुनिया तक पहुंचाना है। प्रत्येक विभागों में विभाग के कर्मचारियों व अधिकारियों की एक तय सीमा होती है। अन्य नौकरियों, व्यापार, किसान व अन्य वर्ग अपना जीवन यापन कर रहा है। उसमें पत्रकारों की संख्या न के बराबर है। ऐसे में आवश्यकता है कि और युवा वर्ग इस ओर बढ़ें। अपने साथ ही देश समाज के कल्याण का कार्य करें। उसके लिए आवश्यकता है कि वरिष्ठ पत्रकार ऐसे युवाओं को पत्रकारिता में बढ़ने में मदद करें जिससे वह पथ भ्रमित न हों। समस्या का समाधान किसी को फर्जी कहना नहीं है बल्कि इस लाइन में आने वालों के प्रशिक्षण का भी प्रबंध होना चाहिए। ऐसे प्रबंध यदि सरकार करती है तो उसके लिए भी लाभ ही होगा क्योंकि प्रशिक्षित कलमकार कि कलम समाज के बड़े तबके का भला करा सकती है। पुलिस प्रशासन के अधिकारियों को भी यह चिन्हित करना चाहिए कि कोई धोखा देने के लिए पत्रकार बता रहा है या वह वाकई लेखन क्षेत्र से जुड़ा हुआ है। 


पत्रकार को समाचार पत्र संस्था से परिचय पत्र जारी करते समय यह सुनिश्चित करें कि प्रेस के परिचय पत्र किसी को कुपात्र के पास न पहुंचे। तभी लोगों की शक भरी निगाहें पत्रकारों को देखने के रवैए में सुधार होगा। कार्यक्रम में ओंकार शर्मा, विनोद कुमार, भगत जी, मुकेश कश्यप, दीपक सहदेव, भारद्वाज आदि ने भी विचार रखे। 


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