कविता - भर्ती निकले तो इम्तिहान नहीं
प्रियंका सोनी
भर्ती निकले तो इम्तिहान नहीं
परीक्षा हो तो परिणाम नहीं
परिणाम निकले तो जॉइनिंग का नाम नहीं
आखिर क्यों युवाओं का सम्मान नहीं
बस करो मजाक अब युवा मांगे हिसाब अब बात करो संवाद करो
दो हमारे प्रश्नों का जवाब अब
क्यों हर भर्ती पंचवर्षीय योजना है
किस नए भारत की यह परियोजना है
कैसी यह परीक्षा प्रणाली है
आपने युवाओं की छीनी जवानी है
क्यों पेपर में गलत सवाल डालते
फिर सो सो रुपए का व्यापार करते
रैंक लिस्ट का नहीं प्रावधान करते
वेटिंग लिस्ट का नहीं समाधान करते
साहब, दो चार हो तो बोलूं
अरे आप तो जुल्म हजार करते
जागो सरकार जागो, बस यही कहना है
हमारी समस्याओं पर ध्यान दो
1 वर्ष के भीतर पूरी प्रक्रिया हो
Rhea नहीं, बस नौकरियां हों
युवाओं से भी कुछ कहना है
अब और नहीं सहना है बुलंद अपनी आवाज करो
आज कुछ ऐसी हुंकार भरो
आ जाए चाहे सैलाब अब रुकना नहीं झुकना नहीं
अपने हकों का करना है हिसाब अब
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