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कविता - कभी सोचा नहीं था, ऐसे भी दिन आएँगें

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अभिषेक अरोड़ा -  राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष युवा जल संरक्षण समिति कभी सोचा नहीं था, ऐसे भी दिन आएँगें।    छुट्टियाँ तो होंगी पर, मना नहीं पाएँगे। आइसक्रीम का मौसम होगा, पर खा नहीं पाएँगे। रास्ते खुले होंगे पर, कहीं जा नहीं पाएँगे। जो दूर रह गए उन्हें, बुला भी नहीं पाएँगे। और जो पास हैं उनसे, हाथ मिला नहीं पाएँगे। जो घर लौटने की राह देखते थे, वो घर में ही बंद हो जाएँगे। जिनके साथ वक़्त बिताने को तरसते थे,उनसे ऊब जाएँगें। क्या है तारीख़ कौन सा वार,ये भी भूल जाएँगे। कैलेंडर हो जाएँगें बेमानी, बस यूँ ही दिन-रात बिताएँगे। साफ़ हो जाएगी हवा पर, चैन की साँस न ले पाएँगे। नहीं दिखेगी कोई मुस्कराहट, चेहरे मास्क से ढक जाएँगें। ख़ुद को समझते थे बादशाह, वो मदद को हाथ फैलाएँगे।  क्या सोचा था कभी, ऐसे दिन भी आएंगे।। अभी भी वक्त है यारों संभल जाओ वरना यह चेहरा फोटो में नजर आएगा।।  

लॉकडाउन से टमाटर की खेती हुई चौपट, सरकार से मदद की गुहार

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लॉकडाउन से टमाटर की खेती हुई चौपट, सरकार से मदद की गुहार   लॉकडाउन की वजह से कीटनाशक का नहीं हो पाया छिड़काव, अब मंडी पहुंचने का कर रहे इंतजार     पूरा विश्व कोरोना वायरस की चपेट में है। भारत में इसके प्रसार को रोकने के लिए लॉकडाउन लगा है। लेकिन यह लॉकडाउन किसानों के लिए बड़ी मुसीबतें पैदा कर रहा है। गाजियाबाद जिले के मुरादनगर के नेकपुर समेत कई ऐसे गांव हैं जहां के किसानों की टमाटर की फसल खराब हो रही है। किसानों की समस्या यह है कि वो खुद को कोरोना से तो बचा लें, लेकिन उनकी फसल की हो रही बर्बादी की वजह से होने वाले आर्थिक नुकसान से उन्हें कौन बचाएगा। ऐसे में अंतिम उम्मीद अब सरकार से ही है। खेतों में टमाटर ही टमाटर, लेकिन ज्यादातर खराब हैं क्योंकि समय पर कीटनाशक दवाइयों का छिड़काव नहीं हो पाया। इस वजह से ज्यादातर टमाटर खराब हो चुके हैं और जो बचे है उसके लिए खरीददार नहीं हैं। लॉकडाउन में सब्जी की मंदी है और इस वजह से कोई बड़ा व्यापारी उसे नहीं खरीद रहा। प्रतिबंध की वजह से वो खुद भी मंडी तक टमाटर नहीं पहुंचा सकते। अगर टमाटर मंडी पहुंचा भी देते हैं तो उन्हें इसकी पूरी लागत नहीं मिलती है। उल

इम्युनिटी बढ़ाएं कोरोना को भगाएं

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इम्युनिटी बढ़ाएं कोरोना को भगाएं लेखक - शिखा धामा  ए क्सरसाइज   एक्सरसाइज करने से शरीर के ब्लड़ सर्कुलेशन में बढ़ोतरी होती है, मसल्स टोन होती हैं, कार्ड़िएक फंक्शन बेहतर होता है, और रोम प्रतिरोधक क्षमता में बढ़ोतरी होती है। शरीर सेे जहरीले पदार्थ निकालने में भी एक्सरसाइज मदद करती है। क्योंकि एक्सरसाइज के दौरान हमें पसीना भी आता है। पसीने के जरिये भी शरीर से गंदे पदार्थ बाहर निकलते हैं। शोध के अनुसरा अगर रोजाना 45 मिनट तेज चाल से टहला जाए तो सांस से संबंधित बीमारियां दूर होती हैंऔर बार-बार बीमारी होने की आशंका को आधा किया जा सकता है।  इम्युनिटी बढ़ाएं कोरोना को भगाएं इम्युनिटी हमारे शरीर को रोगो से लड़ने की शक्ति प्रदान करती है। इम्युनिटी कां हिंदी में रोग प्रतिरोधक क्षमता भी कहा जाता है।  शुरुआत में इम्युनिटी को केवल इन्फेक्शन या संक्रामक बीमारियों के लिए जीव की प्रतिरक्षा के रूप में माना जाता था किन्तु बाद में पता चला कि यह हमारे शरीर को सभी तरह बीमारियों से लड़ने की शक्ति प्रदान करती है और साथ ही यह बीमारियों से लड़ने के लिए शरीर की सेल्स को भी बदल देती है।  उदाहरण के लिए यदि आपकी इम्युनिटी अ

किसी व्यक्ति का कल्याण करना है तो उसे आत्मनिर्भर बनाकर करें - डॉक्टर अनिला आर्य सिंह

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किसी व्यक्ति का कल्याण करना है तो उसे आत्मनिर्भर बनाकर करें - डॉक्टर अनिला आर्य सिंह     मित्रों हम चंद कागज के नोट, कुछ पुराने वस्त्र, कुछ भोजन, कुछ कोपी कलम आदि वितरित करके भिखारियों की, आलसियों की, कमजोर सोच वालों की बिरादरी को जन्म देने का काम जाने अनजाने में करते हैं। यद्यपि हमारी मंसा ऐसी नहीं होती है। हम तो बस यह चाहते हैं कि हमसे किसी का कल्याण हो जाए।  हमरा मानना है कि हमें ऐसा कुछ करना  चाहिए कि वो आत्मनिर्भर बनकल अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति कर पाएं। उनको रोजगार के अवसर उपलब्ध कराएं ताकि वो सम्मान जनक जीवन जी पाएं  । हमें एक बात सदैव सालती है जब खबर मिलती है कि कुछ समाज सेवियों ने गरीब की बेटी की शादी में योगदान देकर सम्पन्न कराई या निर्धन परिवार की बेटियों का विवाह  सामूहिकता से करवाया। दान शीलता के चर्चे भी बहुत होते हैं। प्रशंसा भी बटोरते हैं। यकीन मानिए कि हमारा उन्हें हतोत्साहित करने का कोई इरादा नहीं है। हमें ही सयानों ने बताया है कि जितनी बड़ी चादर है उतने ही पैर फैलाओ तो हमें अपने बच्चों के विवाह में  ऐसी मदद लेकर अपने और दूसरे पक्ष के सम्मान को ठेस पहुंचाने का कारण नही

मौलवियों के लिबास में गीदड़ों से सावधान- फरमान अब्बासी

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मौलवियों के लिबास में गीदड़ों से सावधान- फरमान अब्बासी ज़मीर जिसका बचा होता है, इंसानियत भी उसी के अंदर नज़र आती है। ज़मीर कब किसका गिर जाए कुछ कहा नही जा सकता, और ज़मीर गिरने के बाद इंसान किस हद तक गिर सकता है। अंदाज़ा नही लगाया जा सकता। सर पर टोपी और चेहरे पर दाढ़ी, सफेद लिबास होने से जरूरी नहीं कि वो तालिब ए इल्म या सच्चा इंसान होता है। नबी के लिबास और दाढ़ी के साथ साथ नबी के अखलाक, आदतें भी होना जरूरी होता है। इसलिए ऐसे दिखने वालों पर तुरन्त यकीन करना उचित नहीं। उनके दिल और मन को भी समझना जरूरी है। आज इस दौर में हमारे बहुत भाईयों की उम्मीदे टूटी है। मुज़फ्फरनगर के अलावा विभिन्न जगह ऐसे कथित मौलवी देखे जा सकते हैं जो आपकी परवाह नहीं बल्कि अपनी जान की परवाह ज्यादा करते हैं। लोग उन्हें उलेमा समझ बैठते हैं, जिनका काम सिर्फ प्रशासनिक अधिकारियों की नज़रों में अपनी छवि बेहतर बनाना होता है। जो कलफ का कुर्ता पहनकर डीएम एसपी के अलावा अधिकारियों के दफ्तरों के चक्कर काटते हों और उनकी जी हुजूरी में लगे रहते हों। उन्हें उलेमा कहना, उलेमा ए दीन की तौहीन कही जाएगी। उनकी खुशामदे, मिन्नतें, उनके साथ फोटो खिंच

दूसरों की हार की खुशी मनाना अनुचित है कांग्रेस को चिंतन करना होगा और प्रत्येक भारतीय का विश्वास जीतना होगा तभी भविष्य सुरक्षित है - महताब पठान कांग्रेस नेता

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दूसरों की हार की खुशी मनाना अनुचित है कांग्रेस को चिंतन करना होगा और प्रत्येक भारतीय का विश्वास जीतना होगा तभी भविष्य सुरक्षित है - महताब पठान कांग्रेस नेता सबसे बड़ी वजह यह भी है जहां देखो गुटबाजी हावी है। यह भी एक कारण है 20 /25 वर्ष पार्टी का झण्डा लेकर चलने वालों को गुटबाजी के चलते नजर अंदाज कर दिया जाता है और दुसरे गुट का बता कर उत्पीड़न किया जाता है। इस ओर पार्टी को ध्यान केंद्रित करना चाहिए। कांग्रेस कहीं भी कमजोर नहीं है अगर गुटबाजी ना हो। मेरी बात हो सकती है किसी को बुरी लगे। क्योंकि सच कड़वा होता है और सच कहने और सुनने की जरूरत है। दिल्ली के चुनाव के नतीजे बताते हैं कि जनता विकास चाहती है। क्योंकि मध्यम वर्ग आज महंगाई से पूरी तरह त्रस्त है। अब आने वाले दिनों में कांग्रेस को चिंतन की जरूरत है। जिस पार्टी ने 15 साल पूरी मेहनत से दिल्ली को संवारने में लगाए। उसका फायदा नहीं मिल रहा है, वजह सिर्फ गुटबाजी की है। हम सारी ताकत एक दूसरे को नीचा दिखाने में लगा देते हैं और कांग्रेस द्वारा किए गए कार्य को जनता तक नही पहुंचा पाते हैं। हार को लेकर दो चार दिन मंथन होता है और फिर वहीं के वह

केवल योग 30 मिनट  योग से करें माइग्रेन का उपचार 

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केवल योग 30 मिनट, योग से करें माइग्रेन का उपचार    शिखा धामा   माइग्रेन एक प्रकार का सर दर्द है जो अक्सर हमारे सिर के एक ओर होता है। माइग्रेन की समस्या हल्की सी आवाज,  सूंघ या उल्टी आने से भी होती है।    माइग्रेन के लक्षण     इस बीमारी में मनुष्य के हमेशा सिर में दर्द की समस्या बनी रहती है। इस बीमारी में मुख्यतः निम्नलिखित लक्षणों का सामना करना पड़ता है। जैसे ----   इस में दर्द सिर के हिस्से में शुरू होकर किसी भी हिस्से तक जा सकता है।   सिर के कौन से हिस्से में होगा यह भी नहीं पता होता।   शारीरिक अभ्यास में भी यह दर्द बना रहता है।   दैनिक दिनचर्या भी मनुष्य दर्द के कारण ढंग से नहीं कर पाने में असमर्थ होता है।   इस बीमारी के दौरान मरीज को हमेशा कमजोरी, चिड़चिड़ापन, उल्टी आना, जी मिचलाना, जी घबराना आदि महसूस होता है।   ऐसी परिस्थिति में मरीज को किसी भी प्रकार की आवाज में, लाइट से भी चिड़चिड़ापन महसूस होता है। इसलिए वह अंधेरे कमरे में अकेला रहना पसंद करने लगता है।   कुछ लोगों को दूसरे लक्षणों का सामना भी करना पड़ता है। जैसे--- शरीर का तापमान बढ़ जाना, पसीना आना, पेट दर्द होना या डायरिया आ

मनुष्य के अंधकारमय जीवन को रोशन करती है सच्चाई की रोशनी

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मनुष्य के अंधकारमय जीवन को रोशन करती है सच्चाई की रोशनी     जब मनुष्य जीवन के अंधकार में खो जाता है तो उसे किसी एक ऐसी रोशनी की जरूरत पड़ती है जो उसके जीवन को रोशनमय कर दे। और वह रोशनी सिर्फ सच्चाई से ही उसको प्राप्त हो सकती है। अतः सच्चाई एक ऐसी रोशनी है जो जीवन के अंधकार को पूर्ण रूप से खत्म करके मनुष्य के जीवन में रोशनी ही रोशनी फैला देती है। अतः सच्चाई जीवन की वह रोशनी है जो जीवन के अंधकार को दूर करती है। सच्चाई एक ऐसी मशाल है जिसको साथ लेकर व्यक्ति अंधकारमय रास्ते पर चले तो उसका जीवन सच्चाई की रोशनी से भर जाएगा। विश्व के महान संतों और ऋषि-मुनियों ने सच्चाई के पथ को चुना इसीलिए उनका जीवन सच्चाई की रोशनी से भर गया। उनके रास्तों पर झूठ के अंधकार का साया भी पड़ा लेकिन सच्चाई की रोशनी ने उनके रास्ते को रोशन कर दिया। जिससे वह व्यक्ति महान बनकर विश्व के इतिहास में हमेशा के लिए अपना नाम छोड़ गए। गांधी जी ने अपने जीवन में हमेशा सच को ही अपना अस्त्र बनाया और इसी सच्चाई की रोशनी से उन्होंने अपना पूरा जीवन रोशन रखा। उनके जीवन में अनेक कठिनाइयां आईं। लेकिन उन्होंने अपने जीवन को सच की रोशनी से

बॉक्स के बाहर लिखना होगा रोल नंबर का पहला अंक

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बॉक्स के बाहर लिखना होगा रोल नंबर का पहला अंक   केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा मंडल (सीबीएसई) की 10वीं-12वीं की बोर्ड परीक्षा में शामिल हो रहे छात्र-छात्राओं को इस बार 8 अंकों के रोल नंबर को भरने ओएमआर शीट में एक बॉक्स खुद बनाना होगा। दरअसल, ऐसी सूचना आ रही है कि बोर्ड द्वारा प्रिंट कराई गई ओएमआर शीट में सिर्फ रोल नंबर भरने सिर्फ 7 बॉक्स बने हैं, जबकि बोर्ड द्वारा वेबसाइट पर जारी प्रवेश पत्र में 8 अंकों का रोल नंबर जारी किया गया है। इस संबंध में संबद्ध स्कूलों को सीबीएसई द्वारा सूचना भेजे जाने की बात कही जा रही है।   बोर्ड परीक्षा के प्रवेश पत्र जारी: केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड यानी सीबीएसई ने नियमित छात्र-छात्राओं के लिए 10वीं 12वीं बोर्ड परीक्षा के प्रवेश पत्र रविवार देर शाम जारी कर दिए हैं। सीबीएसई से संबद्ध स्कूल संस्थान की आधिकारिक वेबसाइट इबमजी.हैब.ैह से प्रवेश पत्र के अलावा केंद्र की जानकारी भी डाउनलोड कर सकते हैं। छात्र-छात्राओं को अपने संबंधित स्कूलों से प्रवेश पत्र प्राप्त करना होगा। ध्यान रखें कि स्कूल प्राचार्य के सील व हस्ताक्षर वाले प्रवेश पत्र ही मान्य होंगे।  प्रवेश पत्र

सीमान्त गाँधी, भारत रत्न अब्दुल गनी गफ्फार खान की पुण्यतिथि पर

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सीमान्त गाँधी, भारत रत्न अब्दुल गनी गफ्फार खान की पुण्यतिथि पर गांधीवादियों की पूरी जमात है। पूरी दुनिया में है और तब से है जब से गांधी हुए। लेकिन दूसरा गांधी एक ही हुआ, सरहदी गांधी। खान अब्दुल गफ्फार खान ने गांधीवाद को इस कदर आत्मसात किया कि लोग उन्हें गांधी ही कहने लगे। इन महापुरुष के जीवन के सत्य से हम निम्नलिखित पक्तियों को पढ़कर रुबरू हो जाएंगे ऐसा महान व्यक्तित्व था सीमान्त गाँधी का...... गाड़ी दिल्ली पहुंची तो लगभग खाली थी। ज्यादा लोग नहीं उतरे। फिर भी महात्मा गांधी ने जिसे लाने भेजा था, वह कहीं नहीं दिखे। उनका भेजा आदमी हर डिब्बे में जा जाकर देखने लगा। एक खाली डिब्बे में एक सज्जन बैठे - बैठे सो रहे थे। खान अब्दुल गफ्फार खान को पहचानकर उस आदमी ने उठाया। खां साहब ने माफी मांगते हुए कहा कि लंबा सफर हुआ तो आंख लग गई। उस आदमी ने कहा कि आप लेट क्यों नहीं गए, गाड़ी तो खाली ही थी। खां साहब ने जवाब दिया, "वो मैं कैसे करता, मेरा टिकट स्लीपर का नहीं था ना।" भारत से अलग होने की उनकी पीड़ा ,उनकी इन पक्तियों मे स्पष्ट हो जाती है। "हमे उन भूखे कुत्तों के सामने क्यों छोड़ दिया ग

ऐसा प्रतीत होता है, आंदोलन को उग्र करने का किसी ने षड्यंत्र रचा : डॉ० मोहम्मद अयूब

ऐसा प्रतीत होता है, आंदोलन को उग्र करने का किसी ने षड्यंत्र रचा : डॉ० मोहम्मद अयूब प्रदेश की स्थिति भयावह बनी और प्रदेश भर में 15 से ज्यादा लोगों की शहादत हुई   जिसकी जिम्मेदार भारतीय जनता पार्टी की सरकार है। क्योंकि यह अहंकारी सरकार जनता की आवाज को दबाना चाहती है। अगर प्रदेश सरकार अपनी दमनकारी नीति नहीं छोड़ती है और केंद्र सरकार इस काले कानून को वापस नहीं लेती है। जोकि संविधान के अनुच्छेद 14, 15 का सीधा उल्लंघन है तो देश एवं प्रदेश की स्थिति भयावह हो जाएगी।       शादाब चौहान राष्ट्रीय प्रवक्ता पीस पार्टी मंगलवार को पीस पार्टी की प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए पीस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ० मोहम्मद अयूब ने कहा कि नागरिकता संशोधन कानून नामी काले कानून के बाद जिस तरीके से जनता में विरोध है और लोकतांत्रिक तरीके से इस काले कानून के खिलाफ जनता आंदोलन कर रही है। ऐसा प्रतीत होता है, आंदोलन को उग्र करने का किसी ने षड्यंत्र रचा। जिस कारण प्रदेश की स्थिति भयावह बनी और प्रदेश भर में 15 से ज्यादा लोगों की शहादत हुई। एवं हजारों लोग घायल हुए और आमजन का भी नुकसान हुआ। जिसकी जिम्मेदार भारतीय ज

चौ० चरण सिंह की जयंती पर नमन

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चौ० चरण सिंह की जयंती पर नमन सोमवार को पूर्व प्रधानमंत्री और स्वतंन्त्रता सेनानी स्व: चौ० चरण सिंह जी का जन्मदिन है उन्हें मेरा शत शत नमन है : शूटर शमशेर राणा शूटर शमशेर राणा ने चौ0 चरण सिंह की जयंती पर कहा कि उन्होंने देश के किसानों को नई दिशा दिखाई जिससे भारत की राजनीति में एक नया मोड़न आया। वह कहा करते थे कि देश की खुशहाली का रास्ता गाँव और खेतों से होकर गुजरता है और ऐ भोले किसान एक पैर अपने खेत में रख दूसरा पैर राजनीतिक गलियारे में रख। लेकिन आज उनका राजनीतिक कुनबा बिखरा पड़ा है। जिसे देख कर दुख होता है और मेरे अन्दर मन्थन होता है कि क्या किया जाए जो सब एक हो जाएं। हमारे लिये फख्र की बात है कि चौधरी साहब हमारे बाबा जी स्वतंन्त्रता सेनानी स्वामी रामानन्द जी को अपना गुरु तुल्य मानते थे।अँग्रेजों के ख़िलाफ़ लड़ते हुए कई बार दोनों के सहयोग के किस्से इतिहासकारों और बुजुर्गों से सुनें। एक बार अँग्रेजी सेना के सिपाही पीछे पड़े थे तो चोधरी चरण सिंह जी को अपनी पीठ पर का सहारा देकर नदी पार करवाई थी। मेरठ की जेल में मेरे बाबा जी स्वामी रामानन्द जी काल कोठरी में बन्द थे और चौ० चरण सिंह सबके साथ खुली

पहाड़ियों पर बसे भोपाल शहर की तहज़ीब और ऐतिहासिक स्थल देखने योग्य

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पहाड़ियों पर बसे भोपाल शहर की तहज़ीब और ऐतिहासिक स्थल देखने योग्य भोपाल का पुराना विधानसभा भवन वास्तुकला का एक शानदार नमूना है। यह भवन ब्रिटिश वास्तुविदों ने बनाया था। राजभवन भी इसी काल की रचना है। भोपाल पहाड़ियों पर बसाया गया शहर है। पहाड़ियों पर ही मध्य प्रदेश सचिवालय का बल्लभ भवन और दो अन्य भवन सतपुड़ा व विंध्याचल, आधुनिक वास्तुकला के भव्य नमूने हैं। खुले वन्य परिक्षेत्र में घूमते सफेद शेर और मुगल काल की पुरानी तहजीबों से रूबरू होने का नाम है भोपाल। भोपाल एक शांत, ऐतिहासिक व सहज शहर है, जहां खूबसूरत झीलों का नजारा है। शहर का अधिकांश क्षेत्र हरीभरी पहाड़ियों से घिरा है। पूरे देश से कहीं से भी सरलता से यहां पहुंचा जा सकता है। दिल्ली, कोलकाता, मुंबई व चेन्नई से सीधी रेल यात्रा की सुविधा भोपाल तक आने के लिए है। भोजपाल नाम से बना भोपाल राजा भोज के बसाए इस खूबसूरत शहर का नाम पहले भोजपाल था। फिर अपभ्रंश में इसे भोपाल कहा जाने लगा। भोजपुर का विश्व प्रसिद्ध शिव मंदिर व एशिया की सबसे बड़ी मस्जिद ताजउल मस्जिद भोपाल में ही है। भोपाल की पुरानी गलियों में घूमते सूरमा भोपाली चूना चाटते हुए, आपसे आ

गांव जलालाबाद में न पीने का पानी और ना गांव में जाने के रास्ते ग्रामीण कह रहे हैं चलो शहर की ओर

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गांव जलालाबाद में न पीने का पानी और ना गांव में जाने के रास्ते ग्रामीण कह रहे हैं चलो शहर की ओर मुरादनगर। "मेरे देश की धरती सोना उगले उगले हीरे मोती" इस गाने के बोल जिस गांव जलालाबाद में "उपकार" फिल्म की शूटिंग में फिल्माया गया था, आज उस गांव के हालात उस समय के हालातों से बिल्कुल उल्टे हैं। यहां माटी, हीरे, मोती नहीं बीमारियां बंट रही है।  कैंसर, हेपेटाइटिस बी, हेपेटाइटिस सी, लीवर की बीमारियां लोगों को मिल रही हैं। सरकारें नारा दे रही हैं "चलो गांव की ओर" लेकिन जैसी नरकीय स्थिति इस गांव की है वहां से तो लोग "चलो शहर की ओर" ही कहने को मजबूर हैं। क्षेत्र का गांव जलालाबाद जाट बाहुल्य है। लेकिन और भी सभी जाति धर्म के लोग आपसी भाईचारे से रहते हैं। इस गांव की सबसे बड़ी समस्या यह है कि मुरादनगर मेरठ दिल्ली हाईवे से गांव में जाने के लिए इतना भी रास्ता नहीं है कि कोई बारात की बस चली जाए। कारण है रास्ते के बीचो-बीच बना रेलवे पुल जो काफी निचाई पर है। उसके नीचे से दो पहिया वाहन चालक या कार आदि निकल सकते हैं। इस समस्या को दूर करने के लिए ग्रामवासी कई बार रेल

गृहणियों की थाली से गायब होती प्याज

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गृहणियों की थाली से गायब होती प्याज गरीब , मजदूर वर्ग के प्याज की बढ़ती कीमतों ने इनकी गृहणियों के आंसू निकाल दिए हैं। पिछले कुछ दिनों में प्याज का खुदरा दाम 100-120 रुपए किलो रहा है। वहीं थोक बाजार में भी प्याज के दाम 70 के पार हैं। सोमवार को आजादपुर मंडी में प्याज का थोक भाव 70 रुपए प्रति किलो तक रहा। वहीं मंडी के आसपास खुदरा बाजार में प्याज के भाव 100 रुपए प्रति किलो को पार कर गया। आजादपुर मंडी के एक व्यापारी ने बताया कि प्याज की आवक कम होने के कारण भाव में तेजी का रुख है। खुदरा व्यापारियों ने बताया कि प्याज के भाव बढ़ने के बाद से बिक्री में गिरावट आई है। आजादपुर मंडी के व्यापारी ने बताया कि पहले दिन 500से 1000 किलो तक प्रति दिन प्याज की बिक्री हो जाती थी। लेकिन अब भाव बढ़ने के बाद बिक्री एक-चौथाई भी नहीं हो पा रही है। उन्होंने बताया कि भाव बढ़ने के बाद दिन में 100 किलो तक भी प्याज की बिक्री नहीं हो पा रही है। आरकेपुरम में रहने वाली एक गृहणी का कहना है कि अब प्याज के भाव बढ़ने के बाद से प्याज थाली से बाहर हो गया है। खाना बनाने के दौरान अब प्याज का इस्तेमाल नहीं किया जा रहा है। दिल्ल

अस्मिता हमारे देश की प्रमुख समस्या बनी: हेमलता शिशौदिया

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  अस्मिता हमारे देश की प्रमुख समस्या बनी: हेमलता शिशौदिया हेमलता शिशौदिया       सैंट हुड कान्वेंट स्कूल जन मानव उत्थान समिति (गाजियाबाद जिलाध्यक्ष ) आज बेटी की अस्मिता हमारे देश की प्रमुख समस्या बन गई है। एक प्रियंका रेड्डी के लिए कई सामाजिक कार्यकर्ता प्रदर्शन के लिए आगे आ रहे हैं जबकि नेता अभी तक शांत है और अपने वोट बैंक बचाने में लगे हैं। हमारे देेेश मेें बेटियों लिए इतनी सारी योजनाओं के चलते हुए भी बेटियां दुुुष्कर्म की शिकार होती हैं और उन्हें बड़ी बेरहमी से मार दिया जाता है।यह हमारे लिए शर्मनाक है क्योंकि बेटी है तो हम हैं, हम हैं तो देश है। अतः सर्वोपरि बेटी होनी चाहिए। उसकी रक्षा के लिए भी सख्त कानूूून होने चाहिए। अगर किसी बेटी का बलात्कार होता है तो सबसे ज्यादा डर भी अन्य बेटियों को होता है। यदि भारत का कानून बेटी की सुरक्षा के लिए सख्त होता तो प्रियंका रेड्डी जैसे हादसे नहीं होते और बलात्कारी को घृणित कार्य करते हुए डर लगता। उस बेटी को नहीं जो इस प्रकार के हादसों से और अधिक डर जाती हैं ।

निर्भया कांड के दोषीयों को समय रहते सज़ा दिलाई होती तो शायद यह घटना ना होती 

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निर्भया कांड के दोषीयों को समय रहते सज़ा दिलाई होती तो शायद यह घटना ना होती    बलात्कारीयों को फास्ट ट्रैक कोर्ट से तुरंत मिले सजा 30 दिन के अंदर अपराधी को मिले मौत की सजा महताब पठान कांग्रेस नेता आज बच्चीयो से बलात्कार के बाद हत्या जैसी घिनौनी हरकत हो रही है और सरकार ऐसे चुप है कि कुछ हुआ ही नहीं है। नोट बन्दी रातोंरात, जीएसटी रातोंरात, जबर्दस्ती  सरकार बनानी हो तो रातोंरात फैसले लेने वाली सरकार बच्चीयों पर हो रहे जुल्म के खिलाफ कोई फैसला लेने में दिन में भी सो रही है। अगर एक बच्ची साहस करके संसद परिसर के बाहर आवाज उठाने आई तो उसकी  पुलिस द्वारा पिटाई करा दी जाती है। आज  माता-पिता अपनी बच्चीयों के भविष्य को  लेकर परेशान है। एक डर लगा रहता है कि कहीं कुछ अनहोनी ना हो जाए। मेरी सरकार से गुजारिश है अगर  तीन तलाक पर कानून बनाया जा सकता है तो बलात्कार पर भी कानून बनाया जा सकता है। क्यों सख्त कानून बनाने से पीछे हट रही है सरकार। निर्भया कांड  को मुद्दा बनाने वाले आजतक इन्साफ नहीं दिला पाए। पिछले वर्षों से निर्भया कांड के दोषीयों की फाईल राष्ट्रपति जी के पास विचाराधीन है। अगर समय रहते दोषियो

प्लास्टिक को ना मीठे से सवार रहा है जिंदगी... मुरादनगर का विकास

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मुरादनगर प्लास्टिक की बंदी ने उसका कारोबार करने वाले लोगों के सामने रोजगार का संकट खड़ा कर दिया है पर्यावरण सुरक्षित रहे और भूखों भी न सोना पड़े इसका उदाहरण मुरादनगर के शिक्षा कम लेकिन हौसले बुलंद विकास ने लोगों के सामने रखा है। उसका कहना है कि जान है तो जहान है यदि दुनिया को नुकसान देने वाले काम  को बंद कर जिंदा रहे तो काम बहुत हैं। विकास 28 वर्ष यहां की प्रीत विहार कॉलोनी में अपने पिता मथुरा प्रसाद के साथ रहता है। 10 वर्षों से वह प्लास्टिक के घरेलू इस्तेमाल के सामान  बच्चों के खिलौनों का ठेला लगाकर लेकर कालोनियों में प्लास्टिक के सामान बेचता था। आठवीं तक की शिक्षा के कारण वह समाचार पत्र आदि पढ़ लेता है। विकास ने बताया कि समाचार पत्रों में कई बार प्लास्टिक के दुष्परिणामों की जानकारी पढ़ी। फिर लोगों ने बताया की प्लास्टिक  बैन हो गया है। वह कार्य बंद करना पड़ा कुछ दिन फाके भी हुए लेकिन अब वह बच्चों के मुंह में मिठास घोल अपनी जिंदगी के कदम आगे की ओर बढ़ा रहा है। मुरादनगर के सार्वजनिक स्थानों पर यह युवक एक थाली में बच्चों की टॉफिया बेचता हुआ दिखलाई देने वाला शहर का शायद इकलौता ही युवक है।

आखिर मुस्लिम समाज में लड़कियों की साक्षरता दर कम क्यों .....?

आखिर मुस्लिम समाज में लड़कियों की साक्षरता दर कम क्यों .....   भारत एक ऐसा देश है जिसमें सभी धर्मों के मानने वाले लोग रहते हैं। इसलिए ही इसे धर्म निर्पेक्ष राष्ट्र के रूप में जाना जाता है। भारत की सवा सो करोड़ की इस जनसंख्या में 17.22 करोड़ मुस्लिम जनसंख्या का बसेरा है जो भारत की कुल आबादी का 14.23 प्रतिशत है। भारत के सभी धर्मों के शैक्षिक स्तर में सबसे कम स्तर मुस्लिम समाज में है। मुस्लिम समाज में शिक्षा को लेकर बहुत ही कम जागरूकता है। लेकिन फिर भी यह स्तर वर्तमान में लगभग 59.1 प्रतिशत के पास पहुँच चुका है। यह स्तर इसलिए भी बढ़ा है क्योंकि काफी जनसंख्या में लोग गाँवों से आकर शहरों में बस गए हैं या फिर गाँवों का नगरीकरण हुआ है इसलिए भी। परंतु इस साक्षाता दर में लगभग पुरूष ही अधिक हैं महिलाएँ अभी भी पीछे हैं।  मुस्लिम समाज में शिक्षा के क्षेत्र में  लड़कियों की स्थिति आज भी दयनीय है। ग्रामीण क्षेत्रों में मुस्लिम समाज में  लगभग 50 प्रतिशत लड़कियों को शिक्षा से ज्यादातर दूर ही रखा जाता है। करीब 30 प्रतिशत लड़कियों को मदरसों तक ही तालीम दिलाई जाती है। लगभग 6% कक्षा 8 और 5 प्रतिशत लड़कियाँ